गोपालगंज

गोपालगंज: कोरोना से हो चुका है बहुत नुकसान, अब कुम्हारों को मिट्टी के दीयों से उम्मीदों की रोशनी

गोपालगंज: दीपावली काफी नजदीक आ चुकी है। दिन नजदीक आते ही कुम्हारों के चाक की रफ्तार भी तेज हो चुकी है। कोरोना काल में संकटों का सामना कर चुके कुम्हारों को अब दीपावली से उम्मीदें बंधी हैं। इसी उम्मीद में कुम्हार काफी संख्या में मिट्टी के दीये गढ़ रहे हैं। कुम्हारों को विश्वास है कि चीन से चल रही तकरार के कारण इस बार लोग मिट्टी का दीया अधिक पसंद करेंगे। मिट्टी के दीयों से सबके घर जगमगायेंगे। सबको विश्वास है कि कोरोना काल में मुश्किलों का सामना कर रहे इस व्यवसाय को काफी राहत मिलेगी। कुम्हारों का कहना है कि दीये की कीमत पुरानी ही होगी। इस वर्ष भी इसकी कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 100 रुपये में 100 दीये बेचने की तैयारी की जा रही है। कुम्हार बताते हैं कि पिछले तीन वर्षों से दीये की यही कीमत चल रही है।

कुम्हारों ने बताया की कोरोना ने इस वर्ष हमारे रोजगार को काफी प्रभावित किया है। लगन का बाजार भी पूरी तरह से चौपट हो गया था। परिवार चलाने के लिए दूसरे काम करने पड़े। हम हर वर्ष चार महीने पहले दीपावली की तैयारी में जुट जाते थे, इस बार लॉकडाउन के दौरान कोई काम नहीं होने के कारण हम छह महीने पहले से ही दीपावली की तैयारी कर रहे हैं। छठ की भी तैयारी कर ली है। वहीं दीपावली में दीया के अलावा कुम्हार कुछ नया भी ट्राइ कर रहे हैं। बच्चों के खिलौनों के साथ-साथ मिट्टी का लालटेन और इलेक्ट्रोनिक दीया भी बना रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि दीपावली के बाजार को कुछ नया देने से उनकी कमाई में कुछ बदलाव होगा। ये ऐसे आइटम हैं, जो सालोंभर बाजार में उपलब्ध नहीं होते हैं।

जमुनहां के टुनटुन, रमेश आदि कुम्हारों ने बताया कि दीपावली की तैयारी लॉकडाउन के दौरान ही पूरी हो गयी थी, क्योंकि लॉकडाउन में उनके पास कोई ऑर्डर नहीं था। इसलिए छह महीने से दीपावली की तैयारी शुरू है़ इस बार समय अधिक मिलने के कारण डिमांड से ज्यादा उत्पाद तैयार कर लिया है़ हालांकि खरीदार कम मिल रहे हैं। कई कुम्हारों के पास दूरदराज से व्यापारी भी पहुंचते हैं। आम समय में जहां औसतन 10 व्यापारी आते थे, इस वर्ष यह संख्या पांच तक पहुंच गयी है़ खास बात है कि कम व्यापारी भले ही आ रहे हैं, लेकिन वे ज्यादा दीये खरीद कर ले जा रहे हैं।

कुम्हार परिवार की महिलाएं अपने हाथों से ग्वालिन बना रही हैं। दीपावली के अवसर पर इसका होना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए ग्वालिन बनाकर उसकी पेंटिंग भी कर रही हैं। कोरोना काल में इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोग परिवार सहित दीपावली की तैयारी में जुटे हैं। इनके हाथों का हुनर साफ झलक रहा है।

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