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चर्चित तेजाब हत्याकांड मामले में पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन दोषी करार

। चर्चित तेजाब हत्याकांड मामले में आज विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए जेल में बंद सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को दोषी करार दिया। पूर्व सांसद हत्या, हत्या की नीयत से अपहरण, साक्ष्य छिपाने एवं आपराधिक षडयंत्र का दोषी करार दिया है। विशेष अदालत ने इस मामले में सजा सुनाने के लिए 11 दिसंबर का दिन तय किया है।

शहाबुद्दीन को सिवान में करीब 11 साल पहले दो युवकों का अपहरण कर तेजाब से नहलाकर बेदर्दी से हत्या करने के मामले में दोषी करार दिया गया है। हत्याकांड के चश्मदीद मृतकों के भाई ने कहा था कि वारदात के समय पूर्व सांसद शहाबुद्दीन खुद उस वक्त वहां उपस्थित थे। दूसरी ओर जेल प्रशासन का दावा था कि शहाबुद्दीन उस समय जेल में थे। अब अदालत के फैसले ने जेल प्रशसन को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

विशेष लोक अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने बताया कि अदालत ने सत्रवाद 158/10 के इस मामले में चार लोगों, पूर्व सांसद मो.शहाबुद्दीन, शेख असलम, शेख आरिफ उर्फ सोनू और राजकुमार साह को भारतीय दंड संख्या की धाराओं 302, 364 ए, 201 और 120 (बी) के मामलों में दोषी करार दिया। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि विशेष अदालत ने इस मामले को ‘दुर्लभतम’ श्रेणी का माना, जिससे दोषियों को इन धाराओं में ‘अधिकतम’ सजा हो सकती है।

बचाव पक्ष की दलील

बचाव पक्ष के अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था का हवाला देते हुए अभियुक्त पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को दोषमुक्त करने का निवेदन किया था। आज उन्होंने कहा कि वे अदालते के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।

अधिवक्ता अभय कुमार राजन कहते हैं कि हत्या के वक्त शहाबुद्दीन जेल में थे और किसी भी जेल अधिकारी को उन्हें जेल से बाहर करने के लिए आरोपित नहीं किया गया है। ऐसे में वे कैसे जेल से बाहर आए? शहाबुद्दीन के खिलाफ मृतकों के एक भाई की गवाही भी पांच साल बाद हुई।

यह है मामला

जानकारी के मुताबिक वर्ष 16 अगस्त 2004 को नगर व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो पुत्रों गिरीश व सतीश का अपहरण शहर की दो भिन्न दुकानों से कर लिया गया। इस मामले में अज्ञात के विरुद्ध अपहरण की एफआइआर दर्ज कराई गई थी। उस समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में बंद थे।

अभियोजन के अनुसार, अपहृत युवकों के बड़े भाई राजीव रौशन ने चश्मदीद गवाह की हैसियत से बयान दिया कि छोटे भाईयों के साथ उसका भी अपहरण हुआ था तथा शहाबुद्दीन के कहने पर दोनों भाईयों की हत्या के पश्चात वह किसी तरह वहां से भाग निकला था।

चश्मदीद के बयान के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध हत्या एवं षड्यंत्र को लेकर आरोप गठित किए गए और मामले का पुन: विचारण शुरू हुआ। विशेष अदालत में दोबारा गवाही शुरू होने के पहले 16 जून 2014 को चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की भी हत्या हो गई।

मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि अपहरण व हत्या के समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में थे। जेल प्रशासन उनके बाहर निकलने से इंकार करता रहा है, जबकि मारे गए चश्मदीद गवाह के अनुसार शहाबुद्दीन घटना के दिन जेल से बाहर निकले थे।

घटनाक्रम पर एक नजर

  • 16 अगस्त 2004 की सुबह में सिवान के गौशाला रोड स्थित व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की मुख्य सड़क पर अर्धनिर्मित मकान पर भूमि विवाद के निपटारे को लेकर पंचायती हो रही थी। इसी बीच बाहर से आए कुछ लोगों ने व्यवसायी को मारने-पीटने की धमकी दी। विवाद बढ़ा तो मारपीट हो गई।
  • व्यवसायी के परिजन घर में भागे। उन्होंने घर में रखे तेजाब को आक्रमणकारियों पर फेंक दिया। घटना में बाहर से आए कुछ अवांछित तत्व गंभीर रूप से जख्मी हो गए।
  • आरोप है कि प्रतिक्रिया स्वरूप उसी दिन शहर के दो भिन्न गल्ला दुकानों से चंदा बाबू के दो पुत्रों गिरीश व सतीश का अपहरण कर लिया गया। अपहृतों की मां के बयान पर अज्ञात के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज कराया गया।
  • मामले के विचारण के दौरान वर्ष 2010-11 में अपहृतों का बड़ा भाई राजीव रौशन बतौर चश्मदीद गवाह मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में गवाही के लिए उपस्थित हुआ। गवाही देते हुए उसने खुलासा किया कि वर्ष 2004 में चंदाबाबू के दो नहीं, बल्कि तीन पुत्रों का अपहरण हुआ था, जिसमें तीसरा वह स्वयं था।
  • अभियोजन के अनुसार राजीव रौशन ने कहा कि उसकी आंखों के सामने उसके दोनों भाईयों की हत्या शहाबुद्दीन के आदेश पर प्रतापपुर गांव में कर दी गई थी। वह किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा था और गोरखपुर में गुजर-बसर कर रहा था।
  • चश्मदीद राजीव रौशन के बयान पर तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक सोमेश्वर दयाल ने हत्या एवं षड्यंत्र को ले नवीन आरोप गठन करने का विशेष अदालत से निवेदन किया। विशेष अदालत ने न्याय प्रक्रिया में उठाए गए कदमों को विलंबित करार देते हुए खारिज कर दिया। तत्पश्चात उच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध आरोप गठित किए गए।
  • मामले में पुन: साक्ष्य प्रारंभ हुआ और साक्ष्य के दौरान 16 जून 2014 को चश्मदीद राजीव रौशन की भी हत्या कर दी गई।
  • आज 09 दिसंबर को विशेष अदालत ने शहाबुद्दीन को इस मामले में दोषी करार देते हुए सजा के लिए 11 दिसबंद की तारीख मुकरर्र कर दी।

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