छपरा मिड डे मील कांड में तत्कालीन प्रिंसिपल को 17 साल की सजा
सूबे के इतिहास में सरकारी योजना के तहत 16 जुलाई 2013 को सारण जिले के मशरक प्रखंड के धरमासती गंडामन गांव में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में विषाक्त मिड डे मील खाने से हुई 22 बच्चों की मौत के मामले में दोषी करार तत्कालीन प्रधानाध्यापिका मीना देवी को सत्रह साल की सजा हुई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विजय आनंद तिवारी ने सोमवार को यह सजा सुनाई। मीना देवी को पिछले बुधवार को दोषी करार दिया गया था।
माननीय अदालत ने अपनर फैसले में कहा कि हेडमास्टर की जिम्मेदारी थी कि वह खाना बनाए जाने की निगरानी करे लेकिन एेसा नहीं हुआ। कोर्ट ने धारा 304 के मामले में दस साल और धारा 308 के मामले में दोषी पाते हुए उसे सात साल की सजा सुनाई। दोनों सजाएं अलग-अलग भुगतनी होगी। इन धाराओं में यह अधिकतम सजा है। कोर्ट ने ढाई लाख रुपये मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।
तीन साल पूर्व मशरक प्रखंड के धरमासती गंडामन गांव में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के मिड डे मील खाने के बाद हालत बिगडऩे लगी थी। घटना में 22 बच्चों की मौत हो गई थी और 25 बच्चे बीमार पड़ गए थे। जांच के दौरान पता चला कि प्रधानाध्यापिका ने अपनी दुकान का तेल इस्तेमाल करने का दबाव डाला था। इस मामले में उसके पति अर्जुन राय को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था।
दोषी करार दिए जाने के वक्त न्यायालय ने मीना देवी को हत्या के प्रयास, जहर देने, साक्ष्य छुपाने सहित अन्य धारा में लगाए गए आरोपों को सत्य से परे बताया था। चर्चित मामले में कोर्ट का फैसला सुनने को सुबह से ही मीडिया कर्मियों और अन्य लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। फैसला सुनने के लिए कोर्ट रूम के भीतर जहां बड़ी संख्या में वकील जुटे थे।
वही महज सत्रह साल की सजा के बाद मृतकों के परिजनों ने कहा कि यह नाकाफी है। उनके कलेजे के टुकड़ों को बेमौत मारने वाली हेडमास्टर को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी। कम से कम उम्रकैद तो होना ही चाहिए था।