गोपालगंज: आज है वट सावित्री व्रत, सुहागिनें करेंगी पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना
गोपालगंज: हिंदू परंपरा में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं. वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए बड़ा व्रत माना जाता है. ये ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पती की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद की पूजा करती हैं. हालांकि लॉकडाउन की वजह से महिलाएं इस बार पारंपरिक तरीके से बरगद के पेड़ के नीचे पूजा नहीं कर पाएंगी.
लॉकडाउन होने के बावजूद महिलाओं ने इसकी तैयारी कर ली है और पूरी आस्था व निष्ठा के साथ व्रत करते हुए पति की दीर्घायु की कामना करेंगी. मान्यता के अनुसार विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं. वट सावित्री व्रत विशेष रूप से सौभाग्य प्राप्ति के लिए बड़ा व्रत माना जाता है. ये ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करके पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद की पूजा करती हैं. इस व्रत में नियमों का विशेष ख्याल रखना पड़ता है.
माना जाता है कि वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति व्रत की प्रभाव से मृत पड़े सत्यवान को पुनः जीवित किया था. तभी से इस व्रत को वट सावित्री नाम से ही जाना जाता है. इसमें वटवृक्ष की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है. महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं. पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है. मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है. वट अर्थात बरगद का वृक्ष आपकी हर तरह की मन्नत को पूर्ण करने की क्षमता रखता है. पीपल और वट वृक्ष की परिक्रमा का विधान है. इनकी पूजा के भी कई कारण है. आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व के बोध के नाते भी स्वीकार किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है.