गोपालगंज

गोपालगंज के बरौली में दस गरीब परिवारों पर लॉक डाउन की मार, दाने दाने को सभी है मोहताज

गोपालगंज: गोपालगंज में कोरोना महामारी को लेकर टोटल लॉक डाउन है. इस लॉक डाउन का सबसे ज्यादा बुरा असर बरौली के ऐसे दस परिवारों पर पड़ा है. जो आज दाने दाने को मोहताज है. इस परिवार में अब खाने के लिए कुछ भी नहीं है. इस परिवार के लोग पहले ठेला चलाकर और पकौड़ी बेचकर परिवार का खर्च चलाते थे. लेकिन लॉक डाउन के बाद सबकुछ ठप्प हो गया है. पीड़ित परिवार ने आवाज़ टाइम्स के माध्यम से पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार से मदद की गुहार लगायी है.

आप को बता दे की बरौली प्रखंड के पचरुखिया गाँव के कृष्णा महतो का परिवार आज दो दिनों से भूखा है. होली के समय पीडीएस डीलर के यहाँ से जो अनाज मिला था. वह खत्म हो गया है. कृष्णा महतो ठेला चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. लॉक डाउन के बाद वह भी कम्पलीट बंद हो गया है. घर में आमदनी का कोई सोर्स नहीं है. जिसकी वजह से उनके घर में अब खाने का कोई सामान नहीं है.

कृष्णा महतो के मुताबिक पडोसी मदद कर रहे थे. लेकिन वे कबतक मदद करेंगे. आज थोड़ी सी सब्जी मिली है. इसी सब्जी को पानी में उबालकर पूरा परिवार खायेगा. कोरोना बीमारी के लॉक डाउन की वजह से उनके बच्चे और परिवार के सदस्य दो दिनों से भूखे है.

कृष्णा की पत्नी सुनीता देवी के मुताबिक उनके पति ठेला पर पकौड़ी बेचते थे. अब वह भी बंद हो गया है. अगल बगल के लोगो से मदद मिली. लेकिन वे भी देने में असमर्थ है. दो दिनों से खाने की समस्या हो गयी है. सुनीता ने पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार से मदद की गुहार लगायी है. उनसे खाने की सामग्री उपलब्ध कराने की मांग की है.

बरौली के पचरुखिया गाँव के कृष्णा महतो का कोई अकेला परिवार नहीं है जिनके यहाँ दो दिनों से खाना नहीं बना है. इनके अलावा इसी गाँव के भूपेश ठाकुर, आशा महतो, स्व मनोज महतो का परिवार, स्व मिठाई साह के परिवार सहित ऐसे 10 परिवार है जहा खाने का न सामान है और न ही कोई सरकारी मदद. जिसकी वजह से लॉक डाउन में यह परिवार भुखमरी के कगार पर है.

इस मामले में जब आवाज़ टाइम्स ने पहल की और मामले को लेकर सदर एसडीएम उपेन्द्र पाल को जानकारी दी. सदर एसडीएम के मुताबिक जिले में रविवार से राशन के वितरण का कार्य शुरू करा दिया गया है. बरौली के पचरुखिया के पीड़ित परिवारों की उनको जानकारी नहीं थी. आवाज़ टाइम्स के द्वारा उनके संज्ञान में मामला लाया गया है. वे इन सभी पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद उपलब्ध कराएँगे. ऐसा कोई आदमी या परिवार नहीं रहेगा. जिसे भूखे पेट सोना पड़े.

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