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लोकसभा में रियल एस्टेट बिल पास,रियल्टी कानून का रास्ता साफ़

आखिरकार लंबी कवायद के बाद लोकसभा में रियल एस्टेट बिल पास हो गया। 10 मार्च को राज्यसभा में इसे पारित कर दिया गया है।इस बिल के पास होने से घर खरीदने के दौरान होने वाली समस्याओं से निजात मिल पायेगी।बिल्डर अब ग्राहकों को भ्रामक विज्ञापन दिखा कर धोखाधड़ी नहीं कर सकेंगे और उन्हें समय पर घर भी देना होगा।

केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू ने बिल से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को लोगों के सामने साझा किया है।वैंकेया नायडू ने कहा कि हमारी सरकार इस बिल के माध्यम से व्यापार करने वाले लोगों को सहूलियत देना चाहती है।उन्होंने बताया कि 2013 से यह संसद में लंबित है। 10 मार्च को यह राज्यसभा में पारित हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि रियल इस्टेट क्षेत्र बढ़े। हम इस क्षेत्र के लोगों को विकास में साथ लेकर चलना चाहते हैं। इस क्षेत्र में कुछ लोग अनुचित तरीके से काम करने वाले हो सकते हैं, लेकिन अच्छे लोग भी हैं जिनकी एक साख है और जो अच्छा काम कर रहे हैं. हम उनकी अनदेखी नहीं कर सकते। नायडू ने कहा इस विधेयक को कांग्रेस सरकार लायी थी लेकिन हमने थोड़ा-फेरबदल कर इसे पेश किया।
इस बिल के कानूनी शक्ल ले लेने से आम लोगों के घर खरीदने के सपने को सुरक्षा मिलेगी।

नये कानून के हिसाब से घर खरीदने वाले के साथ अगर बिल्डर धोखाधड़ी करता है तो उसे जुर्माना के साथ तीन साल की सजा हो सकती है।इस बिल के पास होने के बाद सेंट्रल रेग्‍युलेटर रियल एस्टेट को रेगुलेट करेगा। इसके अलावा सेंट्रल रेग्युलेटर प्रत्‍येक राज्यों के रेग्युलेटर की देख-रेख करेगा और उनके कामों की समीक्षा करेगा साथ ही इसका ध्यान रखेगा कि ग्राहकों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो।

बिल्डर को हर नये प्रोजेक्ट के लिए एक एस्क्रो अकाउंट खोलना होगा, जिसमें उस प्रोजेक्ट की खर्च का 70 फीसदी पैसा जमा करना होगा।इस पैसे का इस्तेमाल किसी दूसरे काम में नहीं किया जा सकेगा और खर्च का हिसाब देना होगा।इसके अलावा अगर घर देने में बिल्डर देरी करता है कंस्ट्रक्शन में कमी यो दोष पाया जाता है घर बनाने वाले बिल्डर को ब्याज और जुर्माना दोनो देना होगा।अगर घर खरीदने वाले के साथ कोई धोखाधड़ी होती है बिल्डर को जुर्माने के साथ तीन साल की सजा हो सकती है।

इस कानून के तहत अब 500 वर्ग मीटर यानी आठ प्लैट का प्रोजेक्ट बनाने वाले बिल्डर भी दायरे में आयेंगे।पहले यह 1000 वर्ग मीटर था जिसे अब कम कर दिया गया।इसके अलावा डेवलपर को प्रोजेक्‍ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं कॉरपेट एरिया पर करनी होगी।डेवलपर को प्रोजेक्‍ट का पजेशन देने के तीन महीने के अंदर रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन को हैंड ओवर करना होगा।

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