टीम इंडिया के नंबर एक तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की तैयारियों में जुटे हुए हैं। शमी घुटने की चोट के चलते वर्ल्ड क प 2015 के बाद से ही टीम से बाहर है। क्रिकेट के महाकुंभ में शमी ने सूजे हुए घुटने से बॉलिंग करते हुए टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने सात मैच में 17 विकेट लिए थे जिसकी बदौलत टीम इंडिया ने लगातार सात मैचों में विपक्षी टीमों को ऑलआउट कर नया रिकॉर्ड बनाया था। शमी की क हानी किसी बॉलीवुड फिल्म की कहानी से कम नहीं है। उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव से पश्चिम बंगाल रणजी टीम और फिर टीम इंडिया में खेलना अद्भुत सफर है। इ स सफर में दर्द, संघर्ष, लगन और सफलता सब कुछ है।
शमी का सफर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के सहसपुर गांव से शुरू होता है। सहसपुर गांव शुगर मिलों के कारण मशहूर है। उनके पिता तौसिफ अहमद भी फास्ट बॉलर रह चुके हैं। शमी ने अपने पिता और चाचा से ही तेज गेंदबाजी के गुर सीखे। हालांकि तौसिफ और उनके भाई ने बड़े स्तर पर क्रिकेट नहीं खेला लेकिन अपनी गेंदबाजी के कारण वे आसपास काफी मशहूर थे। तौसिफ को जब अपने बेटे की काबिलियत के बारे में पता चला तो उन्होंने उसे निखारने का फैसला किया। ”
उन्होंने 15 साल की उम्र में शमी को मुरादाबाद भेज दिया। शमी के कोच बदरूद्दीन बताते हैं कि जब पहली बार मैंने शमी को देखा तो लगा कि यह साधारण खिलाड़ी नहीं है। वह काफी मेहनती था और हमेशा ट्रेनिंग के लिए आता था। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश अंडर-19 टीम के लिए शमी ने ट्रायल दिया लेकिन राजनीति की वजह से उसे नहीं लिया गया।
यूपी अंडर-19 टीम में जगह न मिलने पर बदरूद्दीन ने शमी को कोलकाता जाने को कहा। उस समय शमी 15 केवल 15 साल के थे और घरवालों से काफी दूर जा रहे थे। कोलकाता में शमी ने डलहौजी एथलेटिक क्लब की ओर से खेलना शुरू किया। यहां पर शमी पर बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सहायक सचिव देवब्रत दास की नजर पड़ी। दास शमी के बारे में बताते हैं कि जब मैंने पहली बार उसे देखा तो उसकी स्किल्स देखकर हैरान रह गया। यह उसका डलहौजी क्लब के साथ आखिरी मैच था और इसके बाद दोनों का कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने वाला था। इसके बाद मैंने उसे मेरी टीम के लिए सिलेक्ट कर लिया। इसके तहत उसे 75 हजार रूपये प्रति सीजन और 100 रोजाना खाने के मिलने वाले थे।
दास ने शमी को अपने घर पर ठहराया। दास की टीम टाउन क्लब ने उस साल अच्छा प्रदर्शन किया और शमी ने सबको प्रभावित किया। दास कहते हैं कि शमी बिरयानी के शौकीन है और जब भी हमें विकेट चाहिए होता हम उसे कहते, एक विकेट एक प्लेट बिरयानी।
दास ने बंगाल अंडर-22 टीम में जगह के लिए चयनकर्ताओं से बात की लेकिन शमी बड़े क्लबों की ओर से नहीं खेल है थेmoz इस कारण उन्हें मना कर दिया गया। लेकिन दास ने हिम्मत नहीं हारी और सम्बरन बनर्जी से बात की। बनर्जी ने ही सौरव गांगुली को मौका दिया था और उन्हें नए टैलेंट को पहचानने में उस्ताद माना जाता है। बनर्जी के कहने पर शमी को विजय हजारे ट्रॉफी के लिए शमी को चुन लिया गया। अगले सीजन में शमी मोहन बागान क्लब की ओर से खेेलने लग गए। ईडन गार्डन्स मैदान में उन्होंने सौरव गांगुली को गेंदबाजी जिससे गांगुली काफी प्रभावित हुए। गांगुली ने रणजी टीम के चयनकर्ताओं को शमी का विशेष ध्यान रखने को कहा। इसके बाद शमी रणजी टीम में नियमित हो गए।
दास बताते हैं कि शमी को कोई चिढ़ाता है तो वे मैदान में अपना जलवा बिखरते हैं। एक बार विकेट नहीं मिल रहे थे तो मैंने कहाकि घर जा और अम्मी के कपड़े पहनकर सो जा। इस पर शमी ने कहाकि गेंद दे। उसने दो बल्लेबाजों को बोल्ड कर दिया। शमी ने 2013 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया। इस मैच में उन्हें एक विकेट मिला साथ ही नौ में से चार ओवर मेडन डाले। इस मैच को भारत ने 10 रन से जीता। इसी साल के आखिर में शमी ने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया और वह भी ईडन गार्डन्स के मैदान में है। इस मैच में उन्होंने पहली पारी में चार और दूसरे में पांच विकेट लिए। कभी 100 रूपये रोजाना पर जीने वाले शमी के पास आज बीएमडब्ल्यू कार और कोलकाता के पॉश इलाके में फ्लैट है।