गोपालगंज

गोपालगंज: एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फूटा गुस्सा, जमकर हुआ विरोध प्रदर्शन

एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बदलाव के खिलाफ देशभर में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान करते हुए सड़क पर उतरे। भारत बंदी के दौरान गोपालगंज में सोमवार को दलित संगठन सड़क पर उतर आए। इसके बाद लोगों ने शहर में दुकानें भी बंद कराई। सड़क पर उतरे लोगों ने विभिन्न चौक-चौराहों को जाम कर प्रदर्शन किया। बस स्टैंड में पहुंचकर लोगों ने यातयात भी बाधित कर दिया। बंद समर्थक बाजार में घूम-घूम कर हाथ में लाठी डंडा लेकर दुकानें बंद कराते रहे। बंद समर्थकों ने पोस्ट ऑफिस चौक तथा अंबेडकर चौक को जाम कर जमकर नारेबाजी किया। इस दौरान अंबेदकर चौक पर आगजनी भी की गई। दोपहर तीन बजे तक बंद समर्थक घूम-घूम कर नारेबाजी तथा प्रदर्शन करते रहे। इस दौरान शहर की अधिकांश दुकानें बंद रहीं। इस दौरान बंजारी रोड स्थित एलजी के शोरुम में तोड़फोड़ भी की गई। शहर के साधु चौक के समीप बंद समर्थकों ने नेशनल हाईवे 28 को जाम कर दिया। जिससे नेशनल हाईवे 28 पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। घन्टो तक चले इस जाम के कारण वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इससे यात्रियों को काफी परेशानी भी हुई।

भारत बंद को देखते हुए शहर में सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था रही। जगह-जगह सुरक्षा बल के जवान तैनात रहे। बंद समर्थकों के जुलूस के साथ भी जवान चलते रहे। लेकिन बंद समर्थक जगह जगह सड़क जाम कर प्रदर्शन करते रहे। इस दौरान पुलिस तथा सुरक्षा बल के जवान मूकदर्शक बने रहे। भारत बंद के दौरान तोड़फोड़ करने वालों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी राहुल कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। डीएम के आदेश के बाद अब पुलिस शहर में लगे सीसी कैमरा के फुटेज के आधार पर तोड़फोड़ तथा उपद्रव करने वालों को चिन्हित करने में जुट गई है।

गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को महाराष्ट्र के एक मामले को लेकर एससी एसटी एक्ट में नई गाइडलाइन जारी की थी। नई गाइडलाइन में अनूसूचित जाति, अनूसूचित जनजाति अधिनियम-1989 के दुरुपयोग पर बंदिश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके पहले आरोपों की डीएसपी स्तर का अधिकारी जांच करेगा। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो आगे की कार्रवाई होगी। अब तक के एससी एसटी एक्ट में यह होता था कि यदि कोई जातिसूचक शब्द कहकर गाली-गलौच करता है तो इसमें तुरंत मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की जा सकती थी। इन मामलों की जांच अब तक इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी ही करते थे। बता दें कि ऐसे मामलों में कोर्ट अग्रिम जमानत नहीं देती थी। नियमित जमानत केवल हाईकोर्ट के द्वारा ही दी जाती थी।

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