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असहिष्णुता पर करण जौहर बोले-भारत में मन की बात मुश्किल !

राजस्थान की राजधानी जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल शुरू होते ही विवादों में घिर गया है। साहित्याकारों और सेलिब्रिटीज के बीच असहिष्णुता का मुद्दा हावी हो रहा है। करण जौहर असहिष्णुता पर बोलते हुए कहा कि भारत में मन की बात करना काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन भारत में सबसे बडा जोक है और डेमोक्रेसी उससे भी बडा मजाक है। जबकि रस्किन बॉन्ड मानते हैं कि अवॉर्ड्स लौटाना ठीक नहीं है। वहीं, उदय प्रकाश जैसे राइटर्स इन्टॉलरेंस के मसले पर अवॉर्ड वापसी को सही मानते हैं।”अनसूटेबल ब्वॉय” सेशन में शोभा डे से बातचीत के दौरान करण ने कहा, आप मन की बात कहना चाहते हैं या अपनी निजी जिंदगी के राज खोलना चाहते हैं तो भारत सबसे मुश्किल देश है। मुझे तो लगता है जैसे हमेशा कोई लीगल नोटिस मेरा पीछा करता रहता है। किसी को पता नहीं कब उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाए।14 साल पहले मैंने नेशनल एंथम के अपमान का केस को झेला है। अपना पर्सनल ओपिनियन रखना और डेमोक्रेसी की बात करना, ये दोनों ही मजाक हैं। हम फ्रीडम ऑफ स्पीच की बात करते हैं, पर अगर मैं एक सेलिब्रिटी होने के नाते अपनी राय रख भी दूं तो एक बडी कॉन्ट्रोवर्सी बन जाती है। अवॉर्ड्स कोई बेजान चीज नहीं, ये लोगों का प्यार है। इसे लौटाना या ठुकराना ठीक नहीं है। जैसे इन्टॉलरेंस, इन्टॉलरेंस को जन्म देता है, वैसे ही टॉलरेंस से टॉलरेंस फैलता है। जब आप और मैं तय कर लेंगे कि हमें टॉलरेंट बनना है तो दुनिया बदल जाएगी। लेखक शब्दों से दूरियां पाटने की ताकत रखते हैं, उनकी टॉलरेंस कैपेसिटी ज्यादा जरूरी है।

दरअसल, इन्टॉलरेंस के मुद्दे पर अवॉर्ड लौटाने वाले राइटर्स और अवॉर्ड वापसी का विरोध करने वाली हस्तियों को खास तौर पर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इनवाइट किया गया है। इस फेस्टिवल में अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश और नंद भारद्वाज जैसे राइटर्स को बुलाया गया जो साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं। वहीं, रस्किन बॉन्ड, शोभा डे और अनुपम खेर जैसी हस्तियों को भी बुलाया गया जो इन्टॉलरेंस पर लेकर चल रही बहस को बेकार बता चुके हैं।

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