गोपालगंज

गोपालगंज कि डीबीडीटी टीम रक्तदान से लोगो को जोड़कर दे रही है मरीजो को जीवनदान

जीवन जीने के सभी लोगो के अलग अलग पहलु होते है. पर समाज में कुछ ऐसे लोग भी होते है जो दुसरो के लिए जीना पसंद करते है. ऐसी ही एक अनूठी पहल कर शहर की डिस्ट्रिक्ट ब्लड डोनर टीम कई जिंदगियो को रोजाना एक नई जिन्दगी दे रही है . किसी का अपना उसका साथ छोड़ दे रहा है तो किसी को कोई पूछने वाला नहीं है. इन सभी के बीच यह टीम किसी फ़रिश्ते की तरह लोगो से उनके दुःखो को दूर करने के लिए अपने रक्त का हर बूँद दान कर दे रहे है . कभी कोई रोजे में रहकर रक्तदान कर रहा है तो कोई पत्रकार अपने कलम को छोड़ किसी मरीज की जिंदगी को बचाने के लिए रक्तदान कर रहा है. दिन प्रतिदिन इस कारवां में लोग जुड़ते जा रहे है और कारवां बनता चला जा रहा है. इस अनोखी पहल से जहाँ मरीजो को एक नई जिन्दगी मिल रही है वहीँ लोगो के बीच इस टीम ने एक आशा की किरण जगा दी है. अब लोगों को ऐसा महसूस होने लगा है की कोई अपना-पराया हो या ना हो रक्त के लिए किसी की जिंदगी नहीं जाएगी.

गोपालगंज जिले से 30 किलोमीटर दूर एक लडकी की जिन्दगी को बचाने के लिए रोजे की हालत में  उचकागांव का रहने वाला नसबुलऐन नाम का युवक ने अपने रक्त से उसका जीवन को बचा लिया. तो वहीँ  हिन्दुस्तान अखबार के संवाददाता त्रिलोकी श्रीवास्तव ने गंभीर हालत में पड़ी एक किडनी मरीज को अपना रक्त देकर उसका जीवन बचाया. पता चला है की डुमरिया घाट निवासी रीता देवी लगभग 1 साल से डायलिसिस पर अपनी जिंदगी को चला रही थी पर अचानक आज उनकी तबियत बिगड़ने लगी और डॉक्टर्स ने उनसे ब्लड की मांग की तब उन्हें उस वक़्त कुछ नहीं सूझ रहा था की क्या करे क्यूंकि इससे पहले उनके परिवार के तीनो सदस्यों द्वारा पहले से ही रक्तदान कर दिया गया था. अब वो ब्लड की व्यवस्था कैसे करें तभी इस बात की सुचना डीबीडीटी टीम के माध्यम से संवाददाता त्रिलोकी को मिली और वो अपना काम धाम छोड़ तुरंत रक्त देने के लिए अस्पताल पहुँच गये और उस महिला की जिंदगी को बचा लिया. इस तरह एक और पत्रकार ने अपनी पहल से इस समाज को आईना दिखाया है की अगर हमारे रगों के रक्त से किसी की जिन्दगी बच जाती है तो यह जिन्दगी एक साथ कई जिंदगियो के जीने के बराबर है .

ऐसे ही एक और मिसाल संदीप से देखने को  मिली, जब बिशुनपुरा गाँव, थाना बरौली निवासी सुखदेव सिंह के बेटे चन्द्रिका सिंह जो एक मिर्गी मरीज है. आज जब उनकी तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ गयी और डॉक्टर्स ने ब्लड चढाने के लिए कहा तब उनके लिए एक फ़रिश्ता बनकर संदीप पहुंचे और उन्हें एक नयी जिंदगी देने का काम किया.

जिस तरीके से युवाओ द्वारा यह काम बखूबी व जिम्मेदारी से किया जा रहा है वह दिन दूर नहीं है जब इस जिले का कोई भी शख्स खून की कमी से नहीं मरेगा . डीबीडीटी टीम की इस पहल को आवाज़ टाइम्स के पूरी टीम के तरफ से सलाम ……..

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