गंगा-जामुनी तहजीब की मिसाल, हिंदू की मौत पर मुस्लिमों ने दिया कंधा, किया अंतिम संस्कार
हिंदुओं-मुस्लिमों को भड़ाकर दंगा कराने वालों को अब शीशे में चेहरा देखना चाहिए। यह खबर उन्हें नसीहत देने वाली है। मेरठ जिले में गंगा-जामुनी तहजीब की एक मिसाल देखने को मिली है। जहां मजहब और धर्म से बड़ा इंसानियत और दोस्ती के रिश्ते को माना गया। यहां एक मुस्लिम दोस्त ने अपने हिन्दू दोस्त का अंतिम संस्कार कर एकता की अनूठी मिसाल पेश की है।
यूं तो देश में मजहब और हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर हमेशा सियासत गर्म रहती है पर मेरठ में दो दोस्ती की जोड़ी सभी धर्म से बड़ी थी। बस वो दोस्त थे न हिन्दू थे और न मुसलमान। जब मुस्लिम दोस्त अपने हिन्दू दोस्त का अंतिम संस्कार करने पहुंचा तो देखने वालों का हुजूम लग गया।
दरअसल, मेरठ में मुस्लिम भाइयों ने हिन्दू शख्स की मौत के बाद हिन्दू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया। मेरठ में लिसाड़ी गेट के खुशहाल कॉलोनी में रमेश भाटिया नाम का एक शख्स लगभग 20 साल पहले आकर बस गया था।
उसी दौरान एक मुस्लिम परिवार ने रमेश को अपने यहां पर आश्रय दिया और अपने परिवार का सदस्य माना। यह संबंध इतना गहरा होता गया कि मुस्लिम परिवार की एक लड़की ने रमेश को अपना मुंह बोला भाई भी बना लिया और रमेश ने भी उसको अपनी बहन की तरह मानने लगा।
अचानक रमेश की तबीयत खराब हुई और वो बीमार हो गया जिसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। रमेश की हालत बिगड़ती रही और अंत में डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और उसकी मौत हो गई। रमेश की मौत के बाद सवाल उठने लगा कि उसका अंतिम संसकार कौन करेगा। अंतिम संस्कार के लिए मुस्लिम परिवार आगे आया और रमेश को मुखाग्नि देने के लिए मन बनाया। हिन्दू रीति-रिवाज से मेरठ के शमशान घाट सूरज कुंड पर रमेश का अंतिम संस्कार किया। इस तरह का उदाहरण भी समाज को कहीं ना कहीं एक नया आइना दिखाने का काम करता है।