फोर्ब्स की सूची में भारत को मिला 97वां स्थान !
फोर्ब्स की144 देशों की सूची में भारत 97वें स्थान पर है। वर्ष 2015 की इस सूची में भारत को कजाकिस्तान और घाना से भी नीचे रखा गया है। इसका कारण व्यापार और मौद्रिक आजादी तथा भ्रष्टाचार एवं हिंसा जैसी चुनौतियों से निपटने जैसे मानकों के मामले में भारत का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। फोर्ब्स की इस लिस्ट में डेनमार्क पहले स्थान पर है। चार पायदान लुढ़ककर अमेरिका इस बार 22वें स्थान पर है। पिछले 6सालों से अमेरिका लगातार नीचे के पायदान पर आ रहा है। अमेरिका का साल 2009 में दूसरे स्थान पर रहने के बाद यह लगातार नीचे आ रहा है।
अमेरिका पूरी दुनिया की वित्तीय राजधानी है और 17,400 अरब डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी है। इसके बाद भी मौद्रिक आजादी और नौकरशाही, लालफीताशाही के चलते अमेरिका का प्रदर्शन लगातार खराब रहा है। फोर्ब्स की इस सूची में भारत 97वें स्थान पर है। हालांकि देश खुली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है लेकिन पुरानी आत्मनिर्भर नीतियों का अंश अभी बरकरार है। फोर्ब्स पत्रिका ने कहा कि युवा आबादी और निर्भरता अनुपात कम होने, बेहतर बचत और निवेश दर तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता समन्वय के कारण भारत की दीर्घकालीन वृद्धि का परिदृश्य सकारात्मक है।
फोर्ब्स का कहना है कि हालांकि भारत के समक्ष कई चुनौतियां है जिसे उसे अभी निपटना बाकी है। इसमें गरीबी, भ्रष्टाचार तथा महिला एवं लड़कियों के खिलाफ हिंसा तथा भेदभाव, अकुशल बिजली उत्पादन तथा वितरण प्रणाली, अप्रभावी तरीके से बौद्धिक संपदा अधिकारों का प्रवर्तन, अपर्याप्त परिवहन तथा कषि संबंधी ढांचागत सुविधा, सीमित गैर-कृषि रोजगार अवसर शामिल हैं।
फोर्ब्स ने यह भी कहा कि भारत के समक्ष उच्च व्यय तथा सब्सिडी का जरूरतमंदों तक वितरण नहीं होना, अपर्याप्त गुणवत्ता युक्त मूल तथा उच्च शिक्षा तथा गांवों से शहरों में आने वाली आबादी के लिये व्यवस्था नहीं होना जैसी अन्य चुनौतियां हैं। फोर्ब्स ने यह भी कहा है कि भारत के प्रति निवेशकों की धारणा 2014 की शुरुआत से सुधरी है। इसका कारण चालू खाते के घाटे में कमी तथा चुनाव बाद आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ने की उम्मीद है।