गोपालगंज में शराब पीने से एक व्यक्ति की हुई मौत वहीं दूसरे की हालत गंभीर
बिहार में पूर्णरूप से शराब बन्दी है उसके बाद भी उचकागांव थाना क्षेत्र के गुरमा गांव निवासी रामाकांत बिन की मौत शराब पिने से हो गई जबकी उसी गांव के नवल प्रसाद की हालत बेहद नाजुक होने के कारण सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिये गोरखपुर रेफर कर दिया है।
रामाकांत और नवल दोनों उचकागांव थाना के ही बड़कासाखे झगरू चौधरी के नव निर्मित घर के गृह प्रवेश के अवसर पर खाना बनाने गये थे और वहीं पर दोनों ने शराब पीये। अब सबसे बड़ी सवाल यह खड़ा होता है की जब बिहार में पूर्णरूप से शराब बन्दी है और दोनों लोग बिहार से बाहर नही गये तो शराब उनके पास कहा से आया। दूसरी सवाल यह है की जहाँ पर यह लोग शराब पिए है उस जगह से लगभग 4 किलो मीटर की दुरी पर उचकागांव थाना है, लकिन थाना को अपने क्षेत्र में शराब तस्करो द्वारा शराब बेचने की भनक तक नही है ? आखिर कर जब शराब आस पास मिल रहा है तभी तो यह लोगो शराब खरीद कर पि रहे है।
गोपालगंज जिले की यह दूसरा दुर्भाग्य पूर्ण घटना सामने आई है इसके पहले आप लोगो को खजुबानी काड के बारे में तो पता ही होगा जिसमे शराब बन्दी के बाद भी 18 लोगो की जान शराब पिने से हुई थी। दूसरी तरफ बिहार सरकार के पास आज अगर कोई सबसे बड़ा मुद्दा है तो वो है शराब बन्दी। जिस कानून को सफल करने के लिए बिहार के हर अधिकारी कर्मचारी दिन रात तत्पर है लेकिन इनकी कानून व्यवस्था और तत्परता का जिता जगता उदहारण है रामाकांत की मौत और नमल का जीवन और मौत के बिच झूलती जिंदगी। सरकार चाहे अपना पीठ खुद कितना भी थपथपाय लेकिन बिहार में गोपालगंज से लेकर हर जिला से रोज दिन शराब मिलना शराब की बड़ी बड़ी खेप को पकड़ाना या शराब पिने से मौत होना या बीमार होना सरकार की कानून व्सवस्था की पोल खोलने के लिये काफी है।
अब सरकार हो या जिला प्रसाशन कोई भी करवाई करे लकिन रामाकांत के बच्चों को उनके पिता को तो वापस लाकर तो दे नही सकता है। आखिर इसमें दोशी कौन है और सजा किसको मिलता है यही देखना है।