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बीएसएससी को पटना हाइकोर्ट ने दिया बड़ा झटका, 4000 जेइ की नियुक्ति हाइकोर्ट ने की रद्द

पटना हाइकोर्ट ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने 2012 में चार हजार जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधीर सिंह के कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले की लंबी सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया. इस परीक्षा को अब नए सिरे से विज्ञापन निकाल कर बहाली की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया हैं.

पटना कोर्ट ने यह भी कहा हैं कि बीएसएससी को चार महीने के भीतर ही नये सिरे से विज्ञापन जारी कर बहाली प्रक्रिया पूरी कर लेने का आदेश दिया है. बीएसएससी द्वारा 19 दिसंबर, 2012 को इसके लिए परीक्षा ली गई थी जिसमें परीक्षा के बाद पटना पुलिस ऐसे सेटिंगबाज गिरोह को पकड़ा, जिसने बताया कि बीएसएससी के स्ट्रांग रूम तोड़ कर उसमें रखे ओएमआर शीट को बदला गया था. पकड़े गये शख्स की सूचना पर पुलिस मुख्यालय की आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने स्ट्रांग रूम का निरीक्षण किया, तो प्रथमदृष्टया आरोप को सही पाया.
इस मामले में बीएसएससी के तत्कालीन दो पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ. यह मामला कोर्ट भी पहुंचा. कोर्ट के हस्तक्षेप बीएसएससी ने परीक्षा को रद्द कर दिया. इस बीच आयोग ने रिजल्ट भी जारी कर दिये थे. बाद में 25 सितंबर, 2016 में बीएसएससी ने दोबारा परीक्षा आयोजित की. जो आवेदक पहली बार की परीक्षा में शामिल हुए थे, उन्हें ही इसमें शामिल होने का मौका दिया गया. आरा स्थित केंद्र पर जब दो पालियों में परीक्षा हुई, तो इसमें पहली पाली में दूसरी पाली के प्रश्नपत्र बांट दिये गये. इस आधार पर एक बार फिर परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर आवेदकों ने हाइकोर्ट से गुहार लगायी.

इस मामले में पहली बार आयोजित परीक्षा के सफल आवेदकों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सफल आवेदकों की ओर से वरीय अधिवक्ता विनोद कुमार कंठ ने कोर्ट से राहत देने की अपील की. उनका तर्क था कि वे अपनी मेरिट से परीक्षा में सफल हुए थे, इसलिए उन्हें दोबारा परीक्षा से बाहर रखा जाये. दूसरी ओर वरीय अधिवक्ता दीनू कुमार का कहना था कि परीक्षा में दोनों बार गड़बड़ी हुई है, इसलिए उसे रद्द कर नये सिरे से बहाली प्रक्रिया शुरू की जाये. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद परीक्षा को रद्द करने का फैसला सुनाया.

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