नोटबंदी के प्रभाव से विश्व बैंक ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान दर घटाया
विश्व बैंक ने नोटबंदी के प्रभाव का हवाला देते हुए मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर संबंधी अपने अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है। पहले यह अनुमान 7.6 प्रतिशत था।
इसके साथ ही विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि सुधारात्मक पहलों के चलते आने वाले सालों में देश की वृद्धि अपनी तेज लय पकड़ लेगी और आगे यह 7.6 और 7.8 प्रतिशत रहेगी।
विश्व बैंक की रपट में नोटबंदी का जिक्र करते हुए कहा गया है कि ‘सरकार द्वारा नवंबर में अचानक घोषित इस कदम से 2016 में वृद्धि दर कमजोर हुई है’। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 8 नवंबर की रात को नोटबंदी की घोषणा की, जिसके तहत 1000 व 500 रुपये के तात्कालिक नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया गया। इसके बाद विश्व बैंक की यह पहली रपट है’।
विश्व बैंक का कहना है कि विभिन्न सुधारात्मक पहलों से घरेलू आपूर्ति बाधाएं दूर होने व उत्पादकता बढ़ने की उम्मीद है।इससे ‘भारत की आर्थिक वृद्धि दर फिर तेजी की लय पकड़ सकती है और वित्त वर्ष 2017-18 में 7.6 प्रतिशत व वित्तवर्ष 2019-20 में 7.8 प्रतिशत रह सकती है’। इसके अनुसार ढांचागत क्षेत्र में व्यय से देश में कारोबारी माहौल सुधरेगा और निवेश आकर्षित होगा।