गोपालगंज के छोटे से कस्बे में जन्में बच्चे ने उत्तराखण्ड में अपना झंडा बुलंद किया
बिहार शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा अपना लोहा मनवाते रहा है। बिहार के गोपालगंज जिला के एक छोटे सा कस्बा में जन्मे कुमार सत्यम् ने अपने मेहनत के बदौलत उत्तराखण्ड में अपना झंडा बुलंद किया है। 10 वीं में केंद्रीय विद्यालय देहरादून रिजन में प्रथम स्थान लाकर बिहार का नाम रौशन किया था। फिर कुमार सत्यम् का 12 वीं का परीक्षा 9 मार्च से होने जा रहा है। परीक्षा के तैयारी के साथ साथ देहरादून रिजन के उपायुक्त ने जब KV FRI का निरीक्षण करने पंहुचे तो रिजन के कैप्टन होने के कारण अगुआई भी किया। कार्यकर्म के सफल संचालन कर कुमार सत्यम् को रिजन की ओर से प्रशति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
अपने तीन भाइयों के साथ देहरादून में पढ़ाई कर रहे सत्यम् खाली समय में छोटे भाइयों के साथ मुहल्ले के बच्चों को पढ़ते है।
आवाज टाइम्स ने जब जानना चाहा की तीन भाइयों के साथ रह कर पढ़ाई करने वाले सत्यम् में खासियत क्या है। आवाज टाइम्स से बातचीत में सत्यम् बताते है कि जब मैं 6 वर्ष का था तो मेरी माँ ने सोये हालात में मुझे तैयार कर देती थी। स्कूल का ड्रेस पहना देती थी। उस समय हथुआ इम्पेरियाल स्कूल का बस मेरे गांव लुहसी आती थी।5.30 बजे सुबह बस पर हम बैठ जाते थे। गले में पानी का बोतल, पीट पर किताब का थैला। यह मेरे जीवन का दिन चर्या बन गया। और मैं पीछे मोड़ कर नहीं देखा। गोपालगंज केंद्रीय विद्यायल जब बंद होने के कगार पर आ गया तो वर्ष 2005 के दिसंबर को मैं, मेरा भाई शिवम् और प्रखर देहरादून FRI केंद्रीय विद्यालय में 7 वीं, 6 वीं और 5 वीं में दाखिला ले लिया। एक सप्ताह तक पिताजी के साथ रह कर खाना बनाने, कपडा धोने का गुण सीखा। काफी मुश्किल भरा दिन था लेकिन तीनों भाइयों के हौसला के सामने सब समस्या अपने आप खत्म हो गई। कड़ी मेहनत के बदौलत मेरा छोटा भाई शिवम् भी 10 वीं में अपने विद्यालय में प्रथम लेकर अपना पंचम लहराया। सत्यम् बताते है की मेरे परिवार का माली हालात उतनी अच्छी नहीं थी। फिर भी परिवार के हौसला मिला और हम तीनों भाई के पैर में पंख लग गए और उड़ान भर रहे। फिर सत्यम् ने अपने बड़े पापा, ओपी भैया और जेपी भैया को भी धन्यवाद किया जिन्होंने पढ़ने के लिए प्रेरणा दिया।