मद्रास हाई कोर्ट ने जयललिता के मौत के कारणों पर उठाया सवाल
मद्रास हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान टिपण्णी करते हुए कहा कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत से सम्बंधित सच सामने आना चाहिए। इसी सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार को नोटिस दिया है।
मामले में बरती जा रही गोपनीयता पर नाराजगी जताते हुए बेंच ने कहा, “हमें ही इस बारे में संदेह करीब 75 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद जयललिता को 5 दिसम्बर को मृत घोषित कर दिया गया था।
जस्टिस एस वैद्यनाथन और जस्टिस पार्थिवन की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा, “हमने भी अखबारों में देखा कि मुख्यमंत्री उबर(बीमारी से) रही है, खा रही है, दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर रही है। यहाँ तक कि बैठकें कर रही है और अचानक उनकी मौत हो जाती है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेंच ने कहा कि उनके शव को न ही किसी राजस्व प्रखंड अधिकारी ने देखा और न ही उनके इलाज से संबंधित कोई दस्तावेज दिए गए। बेंच ने याद दिलाया कि एमजीआर जब अमेरिका और देश में अपना इलाज करा रहे थे तब उनकी विडियो रिकॉर्डिंग दिखाई गई थी।
एआईडीएमके कार्यकर्ता पीए जोसफ ने जनहित याचिका के माध्यम से अपील की है कि पूर्व मुख्यमंत्री की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट के तीन सेवानिवृत जजों की बेंच उनके इलाज संबंधी दस्तावेजों के साथ करे। जयललिता को उनकी मौत के बाद चेन्नई के मरीना बीच पर दफनाया था।