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एनडीटीवी पर सरकारी पाबंदी का पत्रकार रवीश कुमार ने कुछ यूं “मुंह तोड़” जवाब दिया

टीआरपी की होड़ में  कभी ना रहने वाला एनडीटीवी हमेशा सेे ही लोगों के दिलों में राज करता रहा है। एनडीटीवी पर रवीश का प्राईम टॉइम शो हमेशा से ही मीडिया का चौथा स्तंभ बनकर लोकतंत्र की हिफाज़त करता रहा है।

आज जब लोकतंत्र की आवाज़ को कुचलने के लिए सरकार ने एनडीटीवी पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी कर दिया तब रवीश ने भी अपने आज के प्राईम टॉइम शो में ईट का जवाब पत्थर से देने का कोशिश की है। आज के शो में रवीश ने किसी मुद्दे की  बात नहीं की बल्कि दो माइम [मूक कलाकार} को बिठा कर सरकार की काली करतूतो की पोल खोल दी ।

रवीश ने माइम आर्टिस्टों से बात करते हुए पूछा [जिसका जबाव वो ] वो इशारों मेंं दे रहे थे अगर आवाज़ को बंद कर दिया जाए तो उन लोगों की आवाजों को कैसे सुना जाएगा जो परेशान है, मज़दूरों की आवाज़, किसानों की आवाज़ जो बीमार हैं उनकी आवाज़ कैसे सुनी जाएगी।

इसपर माइम आर्टिस्टों ने अभिनय करके बताया खाओ पिओ और चादर ओढ़ कर सो जाओ रवीश का सरकार के रवैये पर ये धारदार कटाक्ष था। इसके बााद रवीश ने सवाल किया अगर हम भारत में लोकतंत्र के लिए बिना आवाज़ का स्टार्ट्प शुरु करें जिसकी आज बहुत डिमांड है तो कैसा रहेगा इस पर ट्रोल ने कहा, हम जैसा सोचते हैं, हम जैसा चाहते हैं वो करके दिखाओं।

कल से ही रवीश ने प्राइम टाइम के वक्त टाई नहीं पहनी थी। शर्ट का ऊपरी बटन खुला हुआ था। पहले ही मिनट वे जिस अंदाज़ में कॉलर दोनों हाथों से चढ़ाते हैं, अद्भुत था। लगा कि वे कह रहे हैं,’दम है कितना दमन में तेरे, अरे देख लिया है देखेंगे।’

आज के प्राइम टाइम की शुरुवात रविश ने कुछ यूँ की “जब हम सवाल नहीं पूछ पाएंगे, तो क्या करेंगे”?

दिल्ली में सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला किया गया है। गुड़गांव के भी कुछ स्कूलों को बंद करने का फैसला किया गया है। हवा ही कुछ ऐसी है कि अब जाने क्या क्या बंद करने का फैसला किया जाएगा। हम जागरूक हैं। हम जानते भी हैं। आज बच्चा बच्चा पीएम के साथ साथ पीएम 2.5 के बारे में जानने लगा है। मगर हो क्या रहा है। इस सवाल को ऐसे भी पूछिये कि हो क्या सकता है। अभी अभी तो रिपोर्ट आई थी कि कार्बन का भाई डाई आक्साईड का हौसला इतना बढ़ गया है कि अब वो कभी पीछे नहीं हटेगा। दिल्ली की हवा आने वाले साल में ख़राब नहीं होगी बल्कि हो चुकी है। अब जो हो रहा है वो ये कि ये हवा पहले से ज़्यादा ख़राब होती जा रही है। दरअसल जवाब तो तब मिलेगा जब सवाल पूछा जाएगा, सवाल तो तब पूछा जाएगा जब नोटिस लिया जाएगा, नोटिस दिया नहीं जाएगा।

आपने नचिकेता की कहानी तो सुनी ही होगी। बालक नचिकेता की कहानी हमें क्यों पढ़ाई गई. नचिकेता के सवालों ने उसके पिता वाजश्रवा को कितना क्रोधित कर दिया। क्रोध में वाजश्रवा ने नचिकेता को यमराज को ही दान कर दिया। नचिकेता ने देख लिया कि पिता सब कुछ दान देने के नाम पर अपने लोभ पर काबू नहीं पा रहे हैं। अच्छी गायों की जगह मरियल और बूढ़ी गायें दान में दे रहे हैं। नचिकेता हैरान रह जाता है। सोचता है कि पिता ने दुनिया को कहा कुछ, और कर कुछ रहे हैं। यह भ्रम नहीं टूटता अगर नचिकेता सवाल नहीं करता। नचिकेता पिता से बुनियादी सवाल करता है कि मुझे दान करना होगो तो किसे करोगे। ताम कस्मै माम दास्यसि? यानी पिता मुझे किसे दान करेंगे। वाजश्रवा को गुस्सा आता है और कहते हैं कि मृत्युव त्वाम दास्यामि। यानी जा मैं तुझे मृत्यु को दान करता हूं। याद रखियेगा, हज़ारों साल पहले की यह कहानी नचिकेता के बाप के दानवीर होने के कारण नहीं जानी जाती है, नचिकेता के नाम से जानी जाती है।

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