मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खादी उद्योग को बिहार में देगी बढ़ावा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार (24 सितंबर) को कहा कि बिहार में बने खादी वस्त्रों की ब्रांडिंग होगी और प्रदेश में खादी को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाने का निर्देश उद्योग विभाग को दिया गया है। पटना स्थित अधिवेशन भवन पटना में राष्ट्रीय चरखा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि खादी उद्योग को बढ़ावा देने की हमारी पूरी मंशा है और इसके लिए भवन बना रहे हैं। शो रुम बनाया जा रहा है। बाजार को देखते हुए खादी वस्त्रों की बारकोड की सुविधा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वस्त्रों के तरफ नई पीढ़ी को आकर्षित करना है, उसके लिए खादी वस्त्रों का नया डिजाइन बनाना होगा। खादी वस्त्रों के नए डिजाइन के संदर्भ में उद्योग विभाग द्वारा पटना स्थित एनआइएफटी से समझौता किया गया है। निफ्ट खादी वस्त्रों का नया डिजाइन बनाएगा। खादी वस्त्रों की ब्रांडिंग होगी, इससे खादी वस्त्रों का मांग बढ़ेगा। खादी से जुड़े लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि खादी वस्त्रों की ब्रांडिंग और खादी को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाने को कहा है। नीतीश ने कहा कि हम पूरी मन से मदद करना चाहते हैं। खादी वस्त्रों में शुद्धता एवं गुणवत्ता रहनी चाहिए। चम्पारण सत्याग्रह के सौवें साल पर खादी को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयत्नशील है। सरकार हरसंभव मदद करने को तैयार है। खादी से जुड़े संस्थानों को अपना मनोबल ऊंचा रखना चाहिए। हम खादी उद्योग को विकसित एवं स्वावलंबी करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की खादी की देश में अलग पहचान बनेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में रेडिमेड गारमेंट के क्षेत्र में काफी गुंजाइश है। हम चाहते हैं कि इसे इतना बढावा दिया जाये कि लोगों यहीं काम मिले।
नीतीश कुमार ने कहा कि ब्रांडिंग ठीक से करने पर खादी से बने कपड़ों की भी मांग होगी। आप काम कीजिए हम सहायता करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी के चम्पारण सत्याग्रह के 100वें वर्ष पर खादी उद्योग को नए सिरे से बढ़ावा देने के लिए सरकार हरसंभव मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी का महत्व आजादी की लड़ाई से है। उस समय जो चरखे का महत्व था, उससे आप सभी अवगत हैं। महात्मा गांधी ने चरखा के महत्व पर बल दिया था। गांव-गांव को स्वावलंबी बनाने के लिए गांधी जी ने चरखा को बढावा दिया। वे चाहते थे कि लोग सूत काते, कपड़ा बुने तथा उसे पहने। चरखा को आजादी की लड़ाई के साथ जोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के समय कपड़ों की भी किल्लत थी, इसलिए चरखा को प्रचाारित कर लोगों को उसके प्रति आकर्षित किया गया। पहले कपड़े की कमी थी, पर आज कपड़े की उपलब्धता की कोई कमी नहीं है। आज भी लोगों का खादी के प्रति आकर्षण बना हुआ है। बिहार में आज भी खादी लोकप्रिय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 2 अक्तूबर से लोगों को खादी वस्त्र की खरीद पर 10 प्रतिशत की छूट राज्य सरकार देने जा रही है। खादी के प्रति लोगों का आकर्षण खत्म नहीं हुआ है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 17 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के नए भवन का शिलान्यास किया गया। साथ ही 7 करोड़ रुपए की खादी भवन एवं शोरुम के पुर्णोद्धार योजना का कार्यारंभ किया गया। इसके अलावा बिहार खादी के लोगों का विमोचन बिहार खादी के वस्त्रों में बारकोड का शुभारंभ किया। साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा लाभार्थियों के बीच त्रिपुरारी मॉडल चरखा का वितरण किया। इस अवसर पर उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह, गांधीवादी रजी अहमद और उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने भी समारोह को संबोधित किया।