First Day First Show : दो लफ़्ज़ों की कहानी
रणदीप हुड्डा लगता है अक्षय कुमार को फॉलो कर रहें हैं। अक्षय की तरह ही एक के बाद एक उनकी फिल्म रिलीज़ हो रही हैं। हाल ही में हमने उनकी बेमिसाल एक्टिंग फिल्म ‘सरबजीत’ में देखि जिसमें उन्होंने सरबजीत किसान का किरदार निभाया था। और अब वो एक बार फिर लोगों के सामने पेश हुए हैं फिल्म ‘दो लफ़्ज़ों की कहानी’ लेकर जो एक लव स्टोरी है। फिल्म को डायरेक्ट किया है दीपक तिजोरी ने जिनकी पिछली फिल्में फ्लॉप रहीं हैं लेकिन इस बार उन्होंने कुछ अलग पेश किया है।
कहानी शुरू होती है सूरज (रणदीप हुड्डा) से जो एक बॉक्सर है। उसके साथ कुछ हादसा हो जाता है जिसके बाद वो बॉक्सिंग छोड़ देता है और छोटे मोटे काम करने लगता है। एक दिन उसकी मुलाक़ात जेनी (काजल अगरवाल) से होती है जो अंधी है। यूँ तो सूरज बेहद कठोर है लेकिन जेनी से उसे प्यार हो जाता है। दोनों अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं और इसिलए सूरज चाहता है की जेनी के आँखों की रौशनी वापस लौट आये जिसके लिए सूरज को ढेर सारे पैसे चाहिए। सूरज पैसों के लिए वो करने की ठान लेता है जो उसे नहीं करना चाहिए। उस काम से उसकी जान को भी खतरा है लेकिन वो फिर भी अपने प्यार के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए तैयार हो जाता है।
फिल्म में रणदीप हुड्डा और काजल अगरवाल की केमिस्ट्री खूब अच्छी लगी है। दोनों ने एक्टिंग भी अच्छी की है। लेकिन उन दोनों के बीच प्यार का जूनून देखने को नहीं मिला जो फिल्म की मेन स्टोरीलाइन है। फिल्म में कुछ बातें ऐसी भी है जो थोड़ी अजीब लगी। जैसे की सूरज अचानक बॉक्सिंग क्यों छोड़ देता है, वो वजह हज़म करने लायक नहीं लगी। क्योंकि वो खुद एक गुंडा बन गया था और किसी के मरने से उसे इतना फर्क पड़ेगा ये बात हज़म नहीं हुई।
बात करें डायरेक्शन की तो दीपक तिजोरी ने इस बार अच्छा काम किया है। उनकी पुरानी फिल्में जैसे की ऊप्स, टॉम दिक् एंड हैरी और कई फिल्में बिलकुल भी झेलने लायक नहीं थी। उस हिसाब से ये फिल्म ठीक है।