मीसा भारती चुनाव हरने के बाद भी बैकडोर से बनेंगी सांसद
बिहार में राजद सुप्रीम लालू यादव समझ चुके हैं कि अभी उनकी मुट्ठी में सियासी ताकत है, लिहाज यह उचित समय है कि वे अपनी वंशवाद की बेल को और मजबूत कर लें। ताकि बाद में विरोधियों के उखाड़ने से भी यह बेल न उपर सके । पहले दोनों बेटों को बड़े-बड़े ओहदे दिलाकर सूबे की सियासत में स्थापित कर दिया, अब राजनीति में थोड़ी-बहुत हुनर रखने वालीं बेटी डॉ. मीसा भारती बचीं तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में सक्रिय करने की कवायद की है। यही वजह है कि इस बार पार्टी कोटे से उन्होंने पत्नी राबड़ी के बजाए बेटी मीसा यादव को बैकडोर से संसद भेजने का फैसला किया है। पार्टी ने मीसा के साथ जाने माने वकील राम जेठमलानी का भी राज्यसभा टिकट फाइनल कर दिया।
बिहार के साथ राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में लालू लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। बिहार में उनकी राजद और नीतीश कुमार की जदयू दो ही प्रमुख स्थानीय पार्टियां हैं। लालू की भी 68 साल की उम्र हो चली है। वे यह सच भलीभांति जानते हैं कि राजनीति में कालचक्र हमेशा एक सा नहीं रहता। समय के साथ राजनीतिक ताकत मुट्ठी से फिसलती रहती है। लिहाजा पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद आए पार्टी गठबंधन से सत्ता में आई तो उन्होंने इन अच्छे दिनों का इस्तेमाल पहले नई पीढ़ी को राजनीति में स्थापित करने मे किया। जहां छोटे बेटे तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाने में सफल रहे वहीं छोटे बेटे तेज प्रताप यादव को स्वास्थ्य मंत्री बनवा दिया। सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती बचीं थीं। ताकि घराने के लिए आगे की राजनीति आसान हो जाए। अब पार्टी कोटे से मीसा को राज्यसभा भेजकर लालू राष्ट्रीय स्तर की राजनीति बेटी जरिए आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि मीसा पाटलिपुत्र सीट से लोकसभा चुनाव लड़ीं थीं मगर हार का सामना करना पड़ा था। खास बात थी कि लालू ने अपने चहेते पार्टी नेता रामकृपाल यादव और मौजूदा समय केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव का टिकट काटकर बेटी को चुनाव लड़ाया था। विधानसभा चुनाव के दौरान सभाओं में भाषणों के साथ सोशल मीडिया पर मीसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खूब निशाना साधते देखी गई थीं। लालू यादव का मानना है कि उनकी बेटी संसद में मजबूती से पार्टी की मौजूदगी दर्ज कराएगी। इस नाते सीधे चुनाव में हार हुई तो बैकडोर से बेटी को अब सांसद भेजने का फैसला किए।