गोपालगंज

गोपालगंज: सैकड़ो किलोमीटर दूर से आ रहे भूखे प्यासे मजदूरों के लिए मसीहा साबित हुए सदर एसडीपीओ

गोपालगंज: पूरे देश में कोरोना महामारी को लेकर लॉक डाउन है। ऐसे में सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वे है दिहाड़ी के मजदुर। ये दिहाड़ी मजदुर दिल्ली से अपने घरो की तरफ जाने के लिए सैकड़ो किलोमीटर की दुरी तय कर रहे है। लेकिन इनके पास खाने के लिए न तो भोजन है और न ही पीने के लिए पानी। लेकिन ऐसे ही भूखे प्यासे मजदूरो का दस्ता गोपालगंज पंहुचा तो यहाँ सदर एसडीपीओ नरेश पासवान उनके लिए किसी फ़रिश्ता की तरह सामने आये। सदर एसडीपीओ ने अपने जवानों साथ भूखे प्यासे मजदूरों को खाना खिलाया और पानी पिलाकर उन्हें उनका हेल्थ चेकअप कराया और फिर उन्हें मधेपुरा के लिए रवाना कर दिया।

दरअसल गोपालगंज के सदर एसडीपीओ नरेश पासवान रोज की तरह आज शनिवार को भी ड्यूटी पर तैनात थे। वे कोरोना वायरस को लेकर गोपालगंज में जारी लॉक डाउन की स्थिति का जायजा ले रहे थे। इसी दौरान वे जैसे ही नगर थाना के बंजारी चौक के समीप पहुचे। तो वहा देखा की कुछ लोगों का झुण्ड यूपी की सीमा से गोपालगंज की तरह आ रहा है। इस समूह में 10 लोग शामिल थे, जिसमे युवा और कुछ बच्चे भी शामिल है। वे सभी लोग दो ठेला पर अपना सामान लादकर दिल्ली से पैदल चलकर गोपालगंज में पहुचे थे।

बता दे की दिल्ली से गोपालगंज की दूरी करीब एक हजार किलोमीटर है और गोपालगंज से मधेपुरा की दुरी करीब साढ़े तीन सौ किलोमीटर है। ये दस युवक अपने भारी भरकम सामान के साथ लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से ही पैदल चल रहे है। 7 दिनों बाद वे यहाँ गोपालगंज पहुचे थे। कई दिनों से भूखे प्यासे उनका हालत बुरा था। जब सदर एसडीपीओ ने उनसे पूछताछ की तो उन्होंने खाली पेट पैदल चलने की बात बताई। इसके बाद सदर एसडीपीओ ने अपने साथी जवानों की मदद से उन्हें खाना खिलाया, पानी पिलाया और उनका हेल्थ चेकअप भी कराया। फिर सभी मजदूरो को मधेपुरा के लिए रवाना कर दिया।

सदर एसडीपीओ नरेश पासवान ने बताया की ये दस मजदुर है। वे ठेला से ही दिल्ली से पैदल चल दिए है। वे मधेपुरा जा रहे है। उनके हाथ में क्वारंटाइन में रहने का मुहर लगा हुआ है। इसलिए उनका सदर अस्पताल में हेल्थ चेकअप कराया जा रहा है। इसके बाद उन्हें घर की तरफ भेज दिया जायेगा।

बता दे की गोपालगंज से दिल्ली की एक हजार किलोमीटर की दुरी भले वे तय कर लिए हो। लेकिन उन्हें अपने गाँव जाने के लिए अभी और साढ़े तीन सौ किलोमीटर की दुरी तय करनी बाकी है।

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