गोपालगंज में अग्निशमन विभाग खुद की समस्याओं से परेशान, गाड़िया बढ़ी पर नहीं बढ़ी सुविधायें
गोपालगंज में आग का मौसम शुरू हो गया। जिले में आग की बहुतायत घटनाएं होती है। लेकिन आग बुझाने वाला फायर ब्रिगेड खुद ही समस्याओं से जूझ रहा है। 26 लाख की आबादी वाले इस जिले में केवल 36 फायर कर्मचारी है, जबकि लगभग 60 कर्मचारियों की आवश्यकता है। पूरे जिले में आग बुझाने के लिए केवल 16 गाड़ियां है। आग बुझाते समय एक गाड़ी पर चार और एक चालक पांच की टीम फायर कर्मचारियों की होनी चाहिए। जबकि यहां इस समय एक गाड़ी पर मात्र एक से दो कर्मचारी ही है।
जिले में जब बड़ी अगलगी की घटना होती है, तो उस आग की घटना पर काबू पाने में फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों की सांस फूल जाती है। फायर कर्मचारियों के पास संसाधन ही नहीं है, जिसे पहनकर वह आग बुझाने में जुट सके। जब समस्या विकराल हो जाती है, तो उस समय उतर प्रदेश के फायर ब्रिगेड से मदद लेनी पड़ती है।
विभाग के अनुसार हर पोस्ट पर कर्मचारियों की कमी है। कुल 60 कर्मचारियों की जगह पर मात्र 36 कर्मचारी प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित जिसमे चालक भी है। विभाग द्वारा कई बार सरकार को कर्मियों के बारे में लिखा भी गया है। लेकिन विभाग द्वारा स्टाफ की नियुक्त नहीं करते हुए कुछ होमगार्ड की संख्या बढ़ा दी गई। विभाग की माने तो कई बार पत्र लिखे जाने के बाद भी स्टाफ को रहने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई।
हजियापुर स्थित बिस्कोमान भवन पर फायर ब्रिगेड का कार्यालय है। जहां से आग लगने पर शहर के बीचो बीच स्थित मिंज स्टेडियम के समीप स्थित पानी टंकी पर पानी भरना होता है। शहर के बीचो-बीच होने के चलते दिन में जाम की परेशानी से गाड़ियों को गुजरना पड़ता है। वही पानी टंकी का फ़ोर्स इतना कमजोर है। गाड़ी के एक टैंक भरने में घंटो समय लग जाता है।तब तक आग अपने आगोश में पूरा एरिया ले लेता है।
26 लाख की आबादी वाले इस जिले में 23 लाख के आसपास ग्रामीण क्षेत्रो में लोग है। लेकिन इतने बड़े जिले में मुख्यालय में मात्र -5 गाड़िया, हथुआ अनुमंडल में 02 गाड़िया, मीरगंज में 01, भोरे में 01, कटेया में -01, विजयीपुर 01, कुचायकोट में 01,थावे में 01, फुलवरिया में 01, महमदपुर में 01 और बैकुंठपुर में मात्र 01 गाड़ी है। पिछले वर्ष के अपेक्षा इस बार सात नई गाड़िया बढाई गई है।
इतनी बड़ी आबादी वाले जिले में कई संस्थानों ने भी फायर ब्रिगेड से एनओसी नही ली है। इनमें औद्योगिक इकाईयां, शिक्षण संस्थान और अस्पताल भी शामिल है। जबकि जिले में सैकड़ो की संख्या में छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाईया, सैकड़ों शिक्षण संस्थान और दर्जनों बड़े अस्पताल व अन्य वाणिज्यिक संस्थान हैं।इससे स्पष्ट है,कि जिले में अधिकांश संस्थान बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं। वहीं एनओसी न लेने वालों पर फायर ब्रिगेड विभाग के पास किसी तरह का जुर्माना करने का भी पावर नहीं है। ऐसे में संस्थान भी एनओसी लेने को लेकर उदासीनता दिखाते हैं।
फायर ब्रिगेड के पास हाइड्रोलिक मशीन नहीं है। ताकि बहुमंजिला इमारत में लगी आग को बुझाने में मदद मिल सके।बीते डेढ़ बर्ष पूर्व कटेया में एक बहुमंजिली भवन में आग लग गई थी। आग इतना भीषण था कि उसमे छह लोगों की झुलसने से मौत हो गई थी। लेकिन फायर ब्रिगेड 24 घंटे तक मशक्कत करता रहा लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका। वही बाद में उतर प्रदेश के कुशीनगर से फायर की गाड़ी मंगवानी पड़ी थी। तब जाकर तीसरे दिन आग पर काबू पाया जा सका था। अग्निरोधक सूट,स्मोक मास्क व दस्ताने भी कर्मचारियों को अब नही मिलते।ताकि आग बुझाने के दौरान वे अपनी सुरक्षा कर सके।
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