गोपालगंज

गोपालगंज में जर्जर सडक से परेशान ग्रामीणों ने वोट का किया बहिष्कार, रोड नहीं तो वोट नहीं

आपने चुनाव के समय या किसी मौके पर प्रशासन के द्वारा निषेधाज्ञा लगाने का आदेश जरुर सुना होगा। लेकिन इस बार गोपालगंज में निषेधाज्ञा यानी धारा 144 जिला प्रशासन ने नहीं बल्कि ग्रामीणों ने लगाया है। इन ग्रामीणों के द्वारा लगाये गए इस फरमान के तहत कोई भी नेता या लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी उनके गाँव में वोट मांगने नहीं जायेगा। अपनी गाँव क जर्जर सडक से आजीज होकर ग्रामीणों ने वोट का बहिष्कार और धारा 144 लगाने का पोस्टर हर जगह लगाया है।

मांझागढ़ प्रखंड के छवही सिकमी गाँव में एनएच 28 से जाने के लिए एकमात्र सडक है। लेकिन वह सडक भी इस कदर जर्जर है की इस सडक पर वाहनों का चलना मुश्किल है। यहाँ सरकार के द्वारा वर्षो पूर्व एक अदद सडक का निर्माण कराया गया था। लेकिन वह सडक भी मरम्मती और मेंटेनेंस के अभाव में इस कदर जर्जर हो गया है कि आये दिन इस सडक पर हादसे होते है और लोग घायल हो जाते है। जर्जर सडक को लेकर ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया और जनप्रतिनिधियो के खिलाफ नारेबाजी की।

सिकमी गाँव के 70 वर्षीय किसान मोईन इस्लाम के मुताबिक इस गाँव में नेता सिर्फ वोट के लिए आते है। वे वोट लेकर चले जाते है। लेकिन जीत दर्ज करने के बाद वे आजतक इस गाँव में नहीं आये। जिसकी वजह से यह सडक वर्षो से जर्जर पड़ा हुआ है। इस सडक की वजह से ग्रामीण बहुत परेशान है। इस बार कोई भी नेता उनके गांव में वोट मांगने आएगा तो उन्हें ग्रामीण खदेड़ देंगे और अगर इस गाँव में रोड नहीं बनेगा तो वोट भी नहीं मिलेगा। वोट बहिष्कार का यह बैनर सिकमी गाँव में हर जगह लगाया गया है। गाँव के विभिन्न चौक चौराहों पर यह बैनर साफ़ देखा जा सकता है। इस बैनर में ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार के अलावा धारा 144 लगाने का फरमान जारी किया है। जिसमे लिखा हुआ है कि वोट मांगने वाले किसी भी व्यक्ति का गाँव में प्रवेश वर्जित है।

सिकमी गाँव के युवा फिरोज अखतर का कहना है कि वे पिछले कई वर्षो से अपने इलाके के जनप्रतिनिधियो से रोड बनवाने की गुहार लगाते रहे। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इस बार कोई भी जनप्रतिनिधि चाहे वह किसी भी दल का हो। इस गाँव में आने नहीं देंगे और वोट का बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणों ने यह फरमान सांसद, विधायक से लेकर पंचायत के मुखिया तक सबके लिए जारी किया है।

इसी गाँव के 65 वर्षीय शेख मुलाजिम का कहना है की वे इस सडक के जर्जर होने की वजह से 15 से 20 वर्षो से परेशान है। लेकिन किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। अब वे वोट बहिष्कार का एलान कर अपनी परेशानी से सरकार और जिला प्रशासन को अवगत करा रहे है।

बहरहाल ग्रामीणों का यह फरमान उन नेताओ के लिए सबक भी है जो काम का वादा कर अपने वाडे से मुकर जाते है। अब देखना है की ग्रामीणों की इस वोट बहिष्कार को जनप्रतिनिधि या जिलाप्रशासन कितनी गंभीरता से लेता है।

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