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2 महीने में एक बार धोए जाते हैं यात्रा के दौरान मिलने वाले कंबल !

कई बार रेल यात्रा के दौरान आपको महसूस होता होगा कि आपको बेड रोल के साथ मिलने वाले कंबल में से बदबू आ रही है। हालांकि कुछ लोग इसके लिए वेंडर से शिकायत भी करते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है कि ट्रेन में मिलने वाले कंबल से बदबू क्यों आती है।

इस सवाल का जवाब शुक्रवार को रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने दिया। उन्होंने शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि रेल में मिलने वाले कंबलों को दो महीने में एक बार धोया जाता है वहीं बेड रोल और तकिए के कवर रोज धोए जाते हैं।

सदन के कई सदस्यों ने रेलवे की कपड़े धोने की व्यवस्था और स्वच्छता को लेकर सवाल पूछा था जिसपर मनोज सिन्हा ने जवाब देते हुए कहा कि कंबल को हर दो महीने में एक बार धोया जाता है।

मनोज सिन्हा के जवाब पर राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी ने चुटकी लेते हुए कहा कि पहले वाला तरीका ही बेहतर था जिसमें यात्रा के दौरान यात्री खुद की चादर और तकिया साथ लेकर चलते थे।

हामिद अंसारी की इस चुटकी का जवाब देते हुए मनोज सिन्हा ने कहा कि ये एक अच्छा सुझाव है और रेलवे को इसमे कोई आपत्ति नहीं है अगर यात्री पहले वाले चलन को दोबारा लागू कर देते हैं।

मनोज सिन्हा ने ये भी बताया कि रेलवे के पास 41 व्यवस्थित लाउड्री है औ अगले दो सालों में 25 और लाउंड्री खोलने का लक्ष्य है। उन्होंने ये भी कहा कि जिन जगहों पर रेलवे लाउंड्री नहीं है वहां बाहर से लाउड्री की सेवाएं ली जाती हैं।

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