गोपालगंज

गोपालगंज की सभी चीनी मिले चल रही है घाटे में, किसानो का नहीं हो पा रहा है भुगतान

गन्ना किसानो को उनकी फसल के बदले चीनी मिलो के द्वारा भुगतान नहीं हो पा रहा है. वही भुगतान नहीं होने की मुख्य वजह चीनी मिलो के करोडो रूपये का घाटा बताया जा रहा है. दरअसल अकेले गोपालगंज में ही तीन चीनी मिले है. लेकिन चीनी की लागत ज्यादा होने और उसकी कीमत कम होने की वजह से मिल प्रबंधन को प्रति क्विंटल करीब 600 रूपये का नुक्सान उठाना पड़ रहा है. इस नुकसान की भरपाई के लिए मिल प्रबंधन ने बिहार सरकार को सब्सिडी के लिए पत्र लिखा है. लेकिन सरकार के द्वारा अबतक इस पर कोई विचार नहीं किया गया.

गोपालगंज में तीन चीनी मिले वर्तमान में कार्यरत है. गोपालगंज के सिधवलिया में भारत सुगर मिल, हरखुआ का विष्णु सुगर मिल और सासमुसा सुगर मिल इन दिनों करोडो की घाटा में चल रहा है. घाटा की मुख्य वजह चीनी का बिक्री मूल्य करीब 31 सौ रूपये प्रति क्विंटल और उसकी लागत मूल्य करीब 37 सौ रूपये प्रति क्विंटल बताया जा रहा है. बिक्री और लागत मूल्य में इतना भारी अंतर को लेकर चीनी मिल प्रबंधन मिल को बंद करने के लिए पेशोपेश में है.

सिधवलिया स्थित बिरला ग्रुप की भारत सुगर मिल इस अंतर की वजह से करीब 60 करोड़ रूपये की घाटे में है. भारत सुगर मिल के महाप्रबंधक शशि केडिया ने बताया कि अभी चीनी मिलो पर बहुत ज्यादा संकट गहरा रहा है. सभी चीनी मिले बहुत ज्यादा आर्थिक संकट से गुजर रही है. अभी लागत मूल्य भी निकालना मुश्किल हो गया है. पिछले वित्तीय वर्ष में उनकी मिल को करीब 60 करोड़ रूपये का घाटा उठाना पड़ा था. मिल प्रबंधन ने बताया कि घाटा को कम करने के सरकार को पत्र लिखकर सब्सिडी की मांग की गयी है. पिछले साल भी नुकसान को लेकर सरकार को पत्र लिखा गया था. लेकिन अबतक कोई फैसला नहीं हो पाया है. इसके साथ किसान भी अच्छी किस्म का फसल लगाकर इस घाटे को कम कर सकते है. शशि केडिया के मुताबिक अभी चीनी की बिक्री मूल्य 3100 रूपये है. जबकि उनकी पेराई में करीब 3800 रूपये खर्च आ रहे है. प्रति क्विंटल इस मिल को करीब 700 रूपये का घाटा उठाना पड़ रहा है. मिल प्रबंधन ने सरकार से सब्सिडी देने और पिछले साल के मोलासेस की भी उठाव कर घाटे से उबरने की मांग की है.

वही गोपालगंज के विष्णु सुगर मिल के महाप्रबंधक पीएसपाणिकर के मुताबिक अगर अगले साल चीनी की कीमत बढ़ेगी तो घाटे से कुछ भारपाई होगी. लेकिन अभीतक मिल घाटे में ही चल रहा है. मिल मालिको को सरकार से उम्मीद है की अगर सरकार कुछ सब्सिडी देगी तो मिल कुछ हदतक घाटे से उबार सकते है. नहीं तो लगातार घाटे की वजह से मिल को बंद करने की नौबत आ सकती है.

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