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अयोध्या मुद्दे पर अब चुप्पी तोड़े मोदी – विश्व हिन्दू परिषद

अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए अब हिन्दू समाज ज्यादा प्रतीक्षा नहीं कर सकता। सब्र टूटने की हालत में है। इसलिए केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच से प्रतिदिन इस मामले की सुनवाई कराए। यदि यह संभव नहीं है तो राज्यसभा व लोकसभा का संयुक्त सदन बुलाकर इस विषय पर निर्णय किया जाए। विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में गुरुवार को संतों ने ये प्रस्ताव रखा।

विहिप मार्गदर्शक मंडल की बैठक माघ मेला शिविर परेड ग्राउंड में हुई। जिसकी अध्यक्षता स्वामी वासुदेवानंद ने की। संतों ने कई घंटे हिन्दू धर्म की समस्याओं पर चिंतन किया। इसके बाद चार प्रस्ताव रखे गए जिसमें अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच बनाकर प्रतिदिन सुनवाई कराने और ऐसा न हो पाने की स्थिति में संसद में संयुक्त सत्र बुलाने की मांग की गई है।

हरिद्वार में अ‌र्द्धकुंभ और उज्जैन में महाकुंभ के कारण प्रमुख संतों की गैरमौजूदगी के चलते निर्णय लिया गया कि उज्जैन महाकुंभ में देश के कोने कोने से आए संत केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए समय निर्धारित कर देंगे। यदि इस समय में निर्णय न हुआ तो संत और हिन्दू समाज का निर्णय ही अंतिम निर्णय होगा। इसके लिए चैत्र नवमी से पूरे देश में माहौल बनाने का काम शुरू होगा। हजारों स्थानों पर श्रीराम शोभायात्राएं निकाली जाएंगी।

चिंतन शिविर में डॉ. रामविलास वेदांती, महंत सुरेशदास, नरेंद्र सरस्वती, सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद, महंत कमल नयनदास, विजयराम दास, सुदशर्नाचार्य, माधवचार्य विद्यात्मतीर्थ, गोपालजी,फलाहारी बाबा, रामरतनदास, नृसिंह, संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री चंपतराय, अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री दिनेश, जीवेश्वर, पंकज, हरिशंकर, अशोक तिवारी आदि प्रमुख संत और विहिप नेता मौजूद रहे।

संतों के रखे अन्य प्रस्ताव :-

# गोरक्षा के लिए अलग मंत्रालय बने, गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित किया जाए। राज्य सरकारें गोचर भूमि घोषित करें। जेलों व सैनिक छावनियों में गोपालन आवश्यक हो।

# धर्मातरण में उपयोग हो रहे धन की जांच हो। ऐसी मंशा रखने वालों के खिलाफ रासुका लगाई जाए।

# मठ मंदिरों से सरकारी अधिग्रहण समाप्त हो। चढ़ावे के पैसे का उपयोग हिन्दू धर्म प्रसार एवं संस्कृति की रक्षा और हिन्दू समाज के सहयोग पर हो।

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