गोपालगंज का थावे रेलवे स्टेशन, जहाँ टॉयलेट जाने के लिए लोग करते है ट्रेन का इंतज़ार
भारत सरकार खुले में शौचमुक्ति को लेकर जहा व्यापक अभियान चला रही है. वही केंद्र सरकार के इस महत्वपूर्ण अभियान को उसके ही अंग रेलवे विभाग द्वारा इस अभियान का मखौल उड़ाया जा रहा है. दरअसल गोपालगंज के सबसे महत्वपूर्ण थावे रेलवे जंक्सन पर सिर्फ दो शौचालय है. वही भी भी कोरम पूरा करने के लिए. जिसकी वजह से इस स्टेशन पर शौच जाने के लिए रेल यात्रिओ से लेकर अधिकारिओ को भी ट्रेन के आने के इंतजार रहता है. जब कोई ट्रेन इस स्टेशन पर आकर रूकती तब लोग ट्रेन में बैठने के लिए नहीं बल्कि ट्रेन के बने शौचालय में घुसने के लिए दौड़ लगाते है.
थावे रेलवे जंक्सन को तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव ने विकसित किया था. तब इस स्टेशन पर डीआरएम कार्यालय को खोलने की कवायद की गयी थी. यहाँ तक की आननफानन में यहाँ लालू प्रसाद यादव के द्वारा डीआरएम ऑफिस भी खोल दिया गया. लेकिन इतने महत्वपूर्ण स्टेशन पर अब तक शौचालय की कमी है. यहाँ स्टेशन नम्बर एक पर दोनों तरफ एक एक शौचालय जका निर्माण भी कराया गया है. लेकिन वह भी अधिकारियो को दिखाने के लिए खानापूर्ति की गयी है. यहाँ अक्सर ताला बंद रहता है. जो शौचालय खुला भी है. वहा इस कदर गन्दगी है की कोई शौचालय में जाना तो दूर बीमारी और दुर्गन्ध से उसके पास से भी नहीं फटकता.
थावे जीआरपी के अवर निरीक्षक सतीश कुमार त्रिपाठी के मुताबिक यहाँ स्टेशन पर पर्याप्त शौचालय नहीं है. एक है भी तो वह गन्दगी से पटा रहता है. जिसकी वजह से इस स्टेशन पर यात्रा करने आये यात्रिओं को खुले असमान के नीचे या फिर ट्रेन के शौचालय में जाना मज़बूरी है. जीआरपी प्रभारी के मुताबिक ट्रेन के शौचालय में पानी की कमी का अभावा रहता है. जिसकी वजह से हर तरफ परेशानी है. उन्होंने कहा की इस स्टेशन पर जो अधिकारी या कर्मी तैनात है. वे भी मज़बूरी में ट्रेन के ही शौचालय का प्रयोग करते है. थावे जंक्सन पर ट्रेन पकड़ने आये यात्री संतोष गुप्ता के मुताबिक वे कई घंटे से यहाँ ट्रेन का इन्तेजार कर रहे है. लेकिन यहाँ शौचालय का अभाव है. एक है भी तो वह बहुत ही गन्दा है. जिसकी वजह से वे जब यहाँ आते है. ट्रेन आने पर ही ट्रेन के ही शौचालय का प्रयोग करते है. जिसकी वजह से ट्रेन अक्सर रिश्क बना रहता है. कमोवेश सभी यात्रिओ का यही हाल है.
अब सवाल है की रेलवे ही जब केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण स्वच्छ भारत मिशन अभियान की उपेक्षा करेगा. तब आम आदमी से इस अभियान के सफलता की क्या उम्मीद करेंगे.