गोपालगंज में 11 माह पूर्व सड़क किनारे मिली थी मासूम, अब पहुंची नए माँ-बाप के साथ अमेरिका
गोपालगंज में नवजात मासूम को उसकी माँ ने शायद इसलिए मरने के लिए लावारिस सड़क के किनारे फेक दिया. क्योकि वह बेटा नहीं बल्कि बेटी थी. लावारिस बच्ची को चिटिओं के निवाला बनने से पहले ही ममता की छाँव मिल गयी है. अब इस लावारिस बच्ची को उसके नए माँ और पिता मिल गए है. जिसका घर यहाँ से सात समुंदर दूर अमेरिका होगा. अब इस बच्ची का नाम (काल्पनिक) विजेता है. विजेता इसलिए क्योकि इसने जिंदगी की जंग जीतकर एक नयी ममता की छाँव हासिल की है.
दरअसल आज से 11 माह पूर्व गोपालगंज के विजयीपुर प्रखंड मुख्यालय से कुछ ही दूर निजी स्कूल के समीप लावारिस बच्ची को फेका गया था. चीटियो के निवाले की वजह से बच्ची लगातार रो रही थी. जो यु ही सडक के किनारे लावारिस पड़ी थी. जिसे वहा से जिन्दा निकालकर सदर अस्पताल के सिंकू वार्ड में भर्ती कराया गया. फिर इसे स्थानीय लोगो की मदद से गोपालगंज चाइल्ड प्रोटेक्शन कार्यालय को सौपा गया.
गोपालगंज सीपीओ कार्यालय ने इस लावारिस बच्ची की जानकारी नयी दिल्ली स्थित CARA के वेबसाइट पर अपलोड किया. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण यानी CARA न इस बच्ची की जानकारी उनलोगों तक उपलब्ध करायी. जिन लोगो ने कारा के माध्यम से लावारिस या परित्यक्त बच्चो को अपनाने के लिए आवेदन दिया था. कारा के द्वारा आवेदन दिए गए परिवार की जानकारी लावारिस बच्चो के जानकारी से मिलान किया जाता था. इस प्रक्रिया के दौरान बच्चा ग्रहण करने वाले परिवार सामाजिक , आर्थिक सहित अन्य पहलुओ की जांच की जाती है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही परित्यक्त बच्चे को फॅमिली कोर्ट में सुनवाई के लिए ले जाया जाता है. इस कोर्ट में वैसे परिवार को भी शामिल होना जरुरी है जिन्हें बच्चे कोई ग्रहण करना होता है.
अमेरिका के एडाहो जिले के रहने वाले एक दम्पति इस बच्ची को अपनाने के लिए कोर्ट की प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हुआ. बल्कि कई माह चली इस कोर्ट की क़ानूनी प्रक्रिया के दौरान अमेरिकी दम्पति यहाँ हाजिर होता रहा. जिसे आखिरकार कल शुक्रवार को कोर्ट से इस बच्ची को सौप दिया गया.
अमेरिकी निवासी राज राजेश्वरी ( काल्पनिक ) के मुताबिक उन्होंने इस बच्ची को अपनाने के लिए आवेदन दिया था. आज लम्बी लडाई के बाद यह बच्ची उन्हें हासिल हुई है. इस बेटी को अपनाकर अमेरिकी दम्पति बहुत खुश है. वे अपनी भावनाओ को रोक नहीं पा रहे है. राज राजेश्वरी ने कहा की उनके पास शब्द नहीं है की वे कितना खुश है. उन्होंने दो बच्चो को पालने की खवाहिश राखी थी. चाहे वह बेटा या बेटी. लेकिन आज उनकी हसरत पूरी हो गयी है.
बच्ची को अपनाने के बाद अमेरिकी दम्पति जहा अपने वतन वापस लौट गए. वही बेटी को नया घर और ममता की छावं की ख़ुशी में जिला चाइल्ड प्रोटेक्शन कार्यालय की तरफ से बेटी विजेता के का जन्मदिन भी मनाया गया . कुमार ने क्योकि यह विजेता कोई मामूली नहीं बल्कि उसकी एक नयी जिन्दगी की शुरुवात थी.
आवाज़ टाइम्स की अपील है की अगर किसी कारण से कोई भी परिवार बच्चा या बच्ची अपनाना नहीं चाहता है तो उसे लावारिस यू ही नहीं फेके. बल्कि अपने जिले के सीपीओ को सूचित करे. ताकि नयी जान को नयी जिंदगी मिल सके.