गोपालगंज

गोपालगंज डीएम व एसपी शहीद को श्रद्धांजलि देने नही पहुँचने की विधायक मिथिलेश तिवारी ने की निंदा

जिस सेना के जवानों के मुस्तैदी से हम चैन की नींद व सुरक्षित महसूस करते है लेकिन जब वही किसी हमले में शहीद हो जाता है तो हमारा भी कर्त्तव्य बनता है की कम से कम उसके पार्थिव शरीर पर दो पुष्प ही चढ़ा कर उसे श्रद्धांजलि दे. लेकिन कुछ उच्च पदों पर पदासीन अधिकारियो को शायद ये नागवार लगता है की वो किसी शहीद के अंतिम यात्रा या उसके पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजली सुमन अर्पित करे. यदि इनके द्वारा श्रद्धासुमन अर्पित कर देने से  शायद उस माँ को जिसने अपना बेटा खोया है, कुछ मरहम लग जाता और उन्हें अपने नई पीढी को देश सेवा में भेजने में संकोच महसूस नही होता बल्कि गर्व महसूस होता.

ऐसी ही एक घटना आज गोपालगंज जिले में देखने को मिली. जिले के बैकुण्ठपुर थाना क्षेत्र के बनौरा गांव का एयरफोर्स सेना का जवान प्रवीण कुमार जम्मू के श्रीनगर में अपने सेना कार्यालय जाने के दौरान शहीद हो गया. एयरफोर्स में तैनात जवान जब सुबह अपने साथी जवानों के साथ सेना कार्यालय जा रहा था तभी पहले से घात लगाये आतंकवादीयों ने उसे अपना निशाना बना लिया जिससे वो मौके पर ही शहीद हो गया. आज शनिवार सुबह शहीद प्रवीन कुमार का पार्थिक शरीर जब उनके पैतृक गांव बैकुण्ठपुर थाना क्षेत्र के बनौरा गांव पहुंचा. तो पार्थिव शरीर पहुंचने के साथ ही पुरे गांव व घर में कोहराम मच गया. शहीद की अंतिम यात्रा में जिले के सांसद जनक राम, बैकुण्ठपुर विधायक मिथिलेश तिवारी,पूर्व विधायक मंजीत कुमार सिंह गोपालगंज के एसडीएम शैलेश कुमार दास तथा भारी संख्या मे वायु सेना के गोरखपुर बेस कैंप के जवान सहित आसपास के सैकड़ों ग्रामीण शमिल होने के लिए जुट गये. लेकिन बिहार सरकार का ना कोई मंत्री ना ही कोई विधायक और ना ही जिलाधिकारी व एसपी इस अंतिम यात्रा में श्रद्धांजली देने के लिए पहुंचे. इसे देखकर परिवार सहित पुरे गांव में रोष है.

भाजपा विधायक मिथिलेश तिवारी ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा की यदि हमारे बिहार के किसी जवान की शहादत हो जाती है तो ये सिर्फ भारत सरकार की ही नही बल्कि राज्य सरकार की भी जिम्मेवारी बनती है की वो उस जवान को श्रद्धा सुमन अर्पित करे और उसके परिवारवालों को सान्तवना दे पर शायद हमारे बिहार सरकार के विधायक व जिले के पदाधिकारी को इसके लिए फुर्सत नही है की वे इस देश की रक्षा करने में अपनी जान की बाजी लगाने वाले इस जवान को अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर श्रद्धासुमन ही अर्पित कर दे. लेकिन ये देख कर लगता है की शायद इन्हें इनकी शहादत से कोई लेना देना नही है.

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