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अबू सलेम समेत 5 आरोपी मुंबई 1993 ब्लास्ट का दोषी करार, सजा का ऐलान 19 जून को

1993 के मुंबई बम धमाकों के मामले में 10 साल पहले जिन 100 लोगों को दोषी करार दिया गया था, उनमें अभिनेता संजय दत्त भी शामिल थे। हालांकि, संजय दत्त से जुड़े केस में जिस अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का नाम आया था, उसके अलावा सात लोगों पर टाडा अदालत आज फैसला सुनाने वाली है। आपको बता दें कि 24 साल पहले 12 मार्च 1993 को मुंबई 12 सिलसिलेवार धमाकों से दहल उठी थी। इसमें 257 लोग मारे गए थे, जबकि 713 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। सीबीआई के मुताबिक, मुंबई धमाके 6 दिसंबर 1992 को हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए किए गए थे। सीबीआई ने कोर्ट को यह भी बताया कि ये धमाके दुनिया का पहला ऐसा आतंकी हमला था, जहां दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इतने बड़े पैमाने पर आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था।

इस मामले में आरोपियों के दूसरे बैच को स्पेशल जज गोविंद ए सनप की अदालत आज फैसला सुनाएगी। 2011 में शुरू हुई सुनवाई इस साल मार्च में खत्म हुई थी। इससे पहले, धमाकों के केस में शुरुआती 123 आरोपियों का ट्रायल 2006 में खत्म हुआ था, जिसमें 100 को सजा सुनाई गई थी। आज अगर सात आरोपी दोषी साबित हुए तो उन्हें मौत की सजा भी हो सकती है। सलेम के अलावा अन्य जिन आरोपियों की सजा पर फैसला होना है, उनमें मुस्तफा दौसा, फिरोज खान, ताहिर मर्चेंट, रियाज सिद्दीकी, करीमुल्ला खान और कयूम शेख शामिल हैं। धमाकों के मामले में यह फैसला आखिरी होगा क्योंकि अब कोई भी आरोपी कस्टडी में नहीं है। 33 आरोपी फरार चल रहे हैं, जिनमें मुख्य साजिशकर्ता दाऊद इब्राहिम, उसका भाई अनीस इब्राहिम, मुस्तफा दौसा का भाई मोहम्मद दौसा और टाइगर मेमन शामिल हैं। सलेम को नवंबर 2005 में पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। उसके इकबालिया बयान के आधार पर ही सिद्दीकी और शेख की गिरफ्तारी हुई थी।

नवीं पास अबू सलेम ने जांच अधिकारियों को बताया कि वह मूल रूप से यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है। 1984 में काम की तलाश में वह अपने एक दोस्त शमी के साथ मुंबई आया था। उसका एक भाई, जिसका मालाड पश्चिम में होटल का बिजनस था, उसके जोगेश्वरी स्थित घर में वह करीब चार साल तक रहा था। सलेम ने 1986 में अंधेरी के एक शॉपिंग सेंटर में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोली, जहां उसने सन 1992 तक कारोबार किया। उन दिनों माहिम का कोई अजीज इंर्पोटेड सामान के बिजनस से जुड़ा हुआ था। उसके आदमी बैंकॉक, हॉन्ग कॉन्ग, दुबई जाते थे। अबू सलेम अजीज से सामान लेता था।

सलेम के एक रिश्तेदार अब्दुल वकील सऊदी अरब में काम करते थे। वह 1992 में मुंबई आए। उन्होंने अंधेरी में हंसनाबाद लेन में पासपोर्ट एजेंट और जॉब रिक्रूटमेंट एजेंसी के तौर पर अपना बिजनस शुरू किया। उसी दौरान मेंहदी हसन, जो खुद एक पासपोर्ट एजेंट था, उसने अब्दुल वकील के साथ काम करना शुरू कर दिया था। मेंहदी उन दिनों सलेम के पास भी आता- जाता रहता था।

गोल्ड की तस्करी

सलेम के अनुसार साल 1992-93 में अजीज गोल्ड और सिल्वर स्मगलिंग के अवैध धंधे में शामिल हो गया था। सलेम उससे गोल्ड और सिल्वर खरीदने लगा था और उन्हें कांदिवली, मालाड के दो व्यापारियों और अंधेरी की दो दुकानों में बेचने लगा थआ। दिसंबर, 1992 के आखिरी सप्ताह में अजीज ने सलेम को सिल्वर लाने का लालच देकर भरूच चलने का ऑफर दिया था और मेंहदी हसन और कुछ अन्य को भी अजीज ने अपने साथ रख लिया था। अजीज सभी को पहले बताई गई जगह से करीब 50 किलोमीटर दूर ले गया। वहां अजीज को एक मारुति वैन दी गई थी।

सलेम के अनुसार उसने देखा कि गाड़ी में पीछे साइड नीचे की ओर कोई लकड़ी का बॉक्स रखा हुआ था। वह मानकर चल रहा था कि इस बॉक्स में सिल्वर रखा हुआ होगा, इसलिए उसने अजीज से कोई सवाल नहीं किया। सलेम के अनुसार, हम यह मारुति वैन लेकर अंधेरी में अपनी दुकान के पास आ गए थे। सलेम ने बताया कि वहां कोई बाबा चव्हाण आया और इस मारुति वैन में उसे बैठाकर बांद्रा में हनीफ और समीर के पास ले गया। वहां से हनीफ इसी मारुति वैन में सभी को बैठाकर बांद्रा में संजय दत्त के बंगले ले गया था।

बंगले में खुला एके-47 का बॉक्स

हनीफ और बाबा चव्हाण ने पेचकस से मारुति वैन में रखा बॉक्स खोला। सलेम के अनुसार, उस बॉक्स में 6 से 8 एके-47 राइफल्स दिख रही थीं। इन एके-47 को देखकर, उसने बाबा चव्हाण से पूछताछ की। जवाब में चव्हाण ने कहा कि तुम चिंता ना करो। इन राइफल्स में से तीन संजय दत्त ने अपने पास रख लीं है, जबकि शेष हनीफ, समीर और बाबा चव्हाण ने अपने पास सुरक्षित रखीं है।

उसके बाद जैसा कि जांच एजेंसियों का कहना है कि अजीज ने सलेम से मारुति वैन वापस करने को कहा है, जो उसने कर दी थी। सलेम ने इसके बाद अजीज से उस चांदी के बारे में पूछा, जिसे दिलाने के बहाने वह उसे भरूच ले गया था। तो उसने 2-3 दिन में इसे देने का भरोसा दिया। उसी दिन जैसा कि आरोप है कि अजीज ने सलेम से कहा कि वह अगले दिन संजय दत्त के पास जाए और उससे दो एके-47 लेकर इन्हें जैबूनिशा नामक महिला को डिलिवर कर दे। उसके बाद वह अगले दिन हनीफ के पास गया और फिर उसके साथ संजय दत्त के बंगले गया था। संजय दत्त ने एक बैग उन्हें दिया, जिसमें दो एके -47 थीं। यह बैग बाद में जैबूनिशा को बांद्रा में माउंट मैरी स्थित उसके बंगले में दे दिया गया था।

शिफ्ट होता रहा एके-47 का बैग

अगले दिन अबू सलेम को अजीज द्वारा आदेश दिया गया कि वह जैबूनिशा के घर फिर जाए और उससे यह बैग वापस ले ले। सलेम पर आरोप है कि उसने इस बैग को अपने दोस्त मंसूर अहमद की ब्लू मारूति-1000 गाड़ी में कुर्ला में कल्पना टॉकिज के पास तीन दिन तक रखा था। सलेम ने जांच एजेंसियों को जो स्टेटमेंट दिया था, उसमें कहा गया कि क्योंकि वह इन हथियारों को अपने पास ज्यादा दिन रखना नहीं चाहता था, इसलिए उसने इस बैग को जोगेश्वरी में किसी अयूब पटेल को दे दिया था। सलेम के अनुसार, उसे अच्छी तरह याद है कि इन हथियारों की डिलिवरी के तीन महीने बाद मुंबई में बम धमाके हुए थे। उसे यह भी याद था कि बम धमाकों के कुछ दिनों बाद संजय दत्त, बाबा चव्हाण, जैबूनिशा, अयूब पटेल, मंसूर अहमद, हनीफ और समीर पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए थे।

लखनऊ से दुबई भागने की कहानी

अबू सलेम ने बताया कि बम ब्लास्ट के बाद अजीज ने उसे कॉल किया और कहा कि वह अपनी दुकान से फौरन भाग जाए और माहिम में उससे मिले। माहिम में मुलाकात के बाद अजीज ने उससे कहा कि अगर वह गिरफ्तार हुआ, तो उसका यानी अजीज का भी नाम आएगा, इसलिए उसने सलेम को यूपी में अपने गांव भाग जाने की सलाह दी थी। वह यूपी तो भागा, पर आजमगढ़ नहीं गया, बल्कि उसने लखनऊ के गोमती नगर इलाके में किराए का घर ले लिया था। यहां वह अपनी पहली पत्नी समीरा के साथ करीब 6 महीने तक रहा था। इस दौरान वह लगातार अजीज से संपर्क में रहा, जो उस दौरान मुंबई से दुबई शिफ्ट हो गया था।

अजीज ने सलेम को दुबई आने की सलाह दी थी। उसी ने सलेम और समीरा के साल 1993 के आखिरी दिनों में फर्जी नाम से पासपोर्ट बनवाए थे। सलेम पत्नी के साथ दिल्ली के रास्ते दुबई भाग गया। दुबई एयरपोर्ट पर अजीज ने ही सलेम को रिसीव किया और अपने घर ले गया था, जो वहां के किंग विडियो शो रूम के ठीक ऊपर था। अबू सलेम की पुर्तगाल में गिरफ्तारी और फिर भारत में उसके प्रर्त्यपण के बाद ऐसा कहा जाता है कि यही अजीज दुबई से फिर अमेरिका शिफ्ट हो गया।

2002 में हुई गिरफ्तारी

अबू सलेम को साल 2002 में पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। 11 नवंबर, 2005 को उसे अभिनेत्री मोनिका बेदी के साथ भारत प्रत्यर्पित किया गया था। उसे आठ केसों में आरोपी बनाया गया है। बिल्डर प्रदीप जैन मर्डर केस में उसे साल 2015 में टाडा कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा हुई थी।

अनीस के साले ने कराया परिचय

साल 1991 में गवली गैंग के शूटरों ने दाऊद इब्राहिम के बहनोई इब्राहिम पारकर का कत्ल कर दिया था। इब्राहिम के अंतिम संस्कार में अबू सलेम और रियाज सिद्दकी भी आए थे। वहां पर अनीस इब्राहिम के साले रहीम अंतुले ने सलेम और रियाज को एक दूसरे से मिलवाया था। उसके बाद सलेम के ऑफिस में रियाज नियमित आता जाता रहा। आरोप है कि जो हथियार और विस्फोटक अबू सलेम अजीज के साथ भरूच से लेकर आया था उसे रियाज ने ही उपलब्ध कराया था।

अभी भी जेल जाने का डर

संजय दत्त को मुंबई की टाडा अदालत ने 31 जुलाई 2007 को 6 साल कैद की सजा सुनाई थी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा तो बरकरार रखी, लेकिन सजा को एक साल घटा कर 5 साल कर दिया। संजय दत्त ने मई 2013 में सरेंडर कर दिया था। वह फरवरी 2016 में पुणे की यरवदा जेल से छूटे थे। पिछले हफ्ते बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन से सवाल पूछा है कि जब संजय दत्त अपनी कैद के आधे समय तक पैरोल पर बाहर ही रहे, ऐसे में उन्हें जल्दी रिलीज कैसे किया गया। जेल अधिकारी अगले हफ्ते कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।

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