बिहार में शराबबंदी का असर : जेल में बंद ‘शराबी’ करोड़ों के खा गए खाना
उत्पाद एवं मध्य निषेध विभाग बिहार सरकार के लिए रजस्व उगाही का प्रमुख स्रोत हुआ करता था। शराबबंदी के बाद से बिहार सरकार को पैसा देने के बजाय उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग सरकार से पैसे ले रही है।
बिहार के अलग-अलग जिलों के जेल में बंद कैदियों के भोजन के ऊपर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है जो सरकार के ऊपर अतिरिक्त बोझ साबित हो रहा है।
बिहार में इस समय 56 जेल हैं, जिसमें कि 8 सेंट्रल जेल 32 मंडल कारा और 16 उपकारा हैं। कुल मिलाकर बिहार के जेलों में 55 हजार के करीब कैदी अलग-अलग मामलों में बंद हैं। बात अगर शराबबंदी की कर ली जाए तो पिछले 1 साल के दौरान शराब बंदी के मामले में कुल 44,594 गिरफ्तारियां हुईं जिसमें से 44,557 आरोपियों को जेल भेजा गया।
जेल में बंद एक कैदी के ऊपर सरकार 70 से ₹100 तक खर्च करती है। एक कैदी के भोजन के ऊपर एक दिन में 72 रुपए खर्च किए जाते हैं, इसके अलावा उनके चिकित्सा और दवाई में भी खर्च किया जाता है। शराबबंदी के बाद शराब पीने और अवैध कारोबार से जुड़े लोगों के संख्या बिहार के जेलों में 35 हजार के करीब है। ऐसे में कैदियों के भोजन और चिकित्सा पर सरकार को करोड़ों खर्च करने पड़ रहे हैं।
जेल में बंद कैदियों के भोजन पर हर रोज कैदियों के भोजन पर पच्चीस लाख बीस हजार रुपये खर्च किये जाते हैं। कुल मिलाकर कैदियों के भोजन में हर महीने 7.30 करोड़ खर्च कर दिए जाते हैं। बात अगर पूरे साल भर की कर ली जाए तो आंकड़ा 90 करोड़ के आसपास पहुंच जाता है। जाहिर तौर पर शराबबंदी के बाद शराब के कारोबारियों और शराबियों पर सालाना सरकार को 100 करोड़ के आस-पास खर्च करने पड़ रहे हैं।
Source : eenaduindia.com