DDCA प्रकरण में सोनिया गांधी को खींचना अनुचित : चिदंबरम
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि डीडीसीए प्रकरण में वित्त मंत्री अरूण जेटली को कथित तौर पर घेरे जाने के प्रयास से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जोड़ना‘अनुचित’ है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में मोदी सरकार पर ‘गलत उद्देश्यों’ से काम करने का आरोप लगाया। और उन्होंने कहा कि डीडीसीए के मामले में ‘सीरियस फ्रॉड्स इन्वेस्टीगेशन ऑफिस’ (एसएफआईओ) की जांच की सिफारिश तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकन ने कुछ शिकायतें मिलने के आधार पर की थी।
इसके साथ ही चिदंबरम ने कहा, ‘मुझे अजय माकन ने बताया कि जब वह खेल मंत्री थे तब कुछ शिकायतें मिली थीं और उन शिकायतों को एसएफआईओ के पास भेज दिया गया था।’ वह एक अखबार को जेटली की ओर से दिए गए साक्षात्कार पर प्रतिक्रि या दे रहे थे जिसमें वित्त मंत्री ने आरोप लगाया है कि संप्रग शासन के समय भाजपा के एक सांसद सोनिया गांधी से मिले थे और ‘उन्होंने कहा था कि वे जेटली को घेरेंगे।’
जेटली ने इस भाजपा सांसद का नाम नहीं लिया, लेकिन अखबार का कहना है कि यह सांसद कीर्ति आजाद हैं जो लंबे समय से डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। भाजपा और मोदी सरकार पर बदले की राजनीति करने के कांग्रेस के आरोप को लेकर चिदंबरम ने कहा कि अगर नेशनल हेराल्ड मामले में सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत व्यक्तिगत स्तर पर थी तो फिर ‘सरकार को यह कहना चाहिए था कि हम पूरी तरह तटस्थ हैं और जो कुछ इस शिकायत पर होता है उससे हम पूरी तरह अलग हैं। भाजपा नेताओं और मंत्रियों को इस मामले पर बोलना नहीं चाहिए था।’
चिदंबरम ने कहा कि जिस दिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया उस दिन ‘वस्तुत: भाजपा का हर नेता कूद पड़ा और खुलकर टिप्पणी करने लगा।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मोदी सरकार आने के तीन महीने के बाद अगस्त, 2014 में भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों ने कहा कि नेशनल हेराल्ड को लेकर प्रथम दृष्टया मामला बनता है। उन्होंने सवाल किया, ‘अगर यह निजी शिकायत थी तो भाजपा के मंत्रियों या भाजपा नेताओं को इस पर टिप्पणी क्यों करनी चाहिए थी।’
जेटली के फेसबुक पोस्ट की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, ‘यह मानने का बहुत ठोस कारण है कि सरकार गलत उद्देश्य से काम कर रही है।’ स्वामी का नाम लिए बगैर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 13 अगस्त, 2015 को प्रवर्तन निदेशालय के तत्कालीन प्रमुख राजन कटोच के खिलाफ प्रधानमंत्री को एक निजी शिकायत लिखी गई और इसके पांच दिनों के भीतर उनको ‘वस्तुत: बर्खास्त कर दिया गया।’