निर्भया कांड: रिहाई के पहले अज्ञात स्थान पर भेजा गया ‘किशोर’
सोलह दिसंबर के सामूहिक बलात्कार और हत्या में दोषी ठहराए गए ‘किशोर’ की रविवार को तय रिहाई से एक दिन पहले उसे सुधार गृह से निकाल लिया गया और किसी अज्ञात स्थल पर भेज दिया गया है। एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि अब 20 साल पूरे कर चुके इस युवक को किसी अज्ञात स्थल पर ले जाया गया है। इस बीच आशंकाएं हैं कि उसके जीवन को खतरा हो सकता है और कई एजंसियां मामले पर नजर रख रही हैं।
हाई कोर्ट में उसकी रिहाई पर रोक लगाने से इनकार करने के एक दिन बाद उसे किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। सूत्र ने बताया कि दोषी को इस अज्ञात स्थल से रविवार को रिहा किए जाने की संभावना है जो कि मौजूदा कानूनी प्रावधान के अनुरूप होगा। दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसने 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार मामले में किशोर अपराधी के लिए पुनर्वास योजना बनाई है।
सरकार ने कहा कि योजना के मुताबिक युवक को एकमुश्त वित्तीय अनुदान के तहत 10 हजार रुपए दिए जाएंगे और एक सिलाई मशीन दी जाएगी ताकि वह दर्जी की दुकान खोल सके। इस दोषी ने पांच अन्य के साथ पैरामेडिकल की 23 साल की छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक बलात्कार और हत्या की थी। इस जघन्य कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था और इसे लेकर व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए थे।
उसे किशोर न्याय बोर्ड ने तीन साल की सजा सुनाई थी और उसे उत्तरी दिल्ली के मैगजीन रोड में सुधार गृह ‘प्लेस ऑफ सेफ्टी’ में रखा गया था। इस सजा अवधि पर समाज के विभिन्न वर्गों ने गहरी आपत्ति जताते हुए इसे अपर्याप्त बताया था। इस बात की मांग उठी थी कि उसके खिलाफ वयस्क अदालत में मामला चलाया जाए।
किशोर की सजा पर नाराजगी के माहौल के बीच बदायूं स्थित उसके गांव में एक पक्ष उसके गांव लौटने का विरोध करने की तैयारी में है। वहां के कई लोग नहीं चाहते कि निर्भया का दोषी अब कभी अपने गांव लौटे। गांव के बुजुर्ग फूलचंद्र का कहना है कि निर्भया कांड के दोषी उस लड़के ने इतना घिनौना काम किया है कि उसे अब इस गांव में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उस वारदात के बाद देश-विदेश में गांव की बहुत बदनामी हुई है। उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद बाहर पढ़ने वाले इस गांव के युवाओं को हिकारत की नजरों से देखा जाता है। कोई उन्हें नौकरी देने को भी तैयार नहीं है। नतीजतन गांव में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
गांव के निवासी अनिल, कुन्नू, रामपाल, गुलाब और नरेश समेत बड़ी संख्या में लोगों की इच्छा है कि निर्भया का गुनहगार अब कभी गांव वापस न लौटे। लेकिन वारदात के समय नाबालिग होने की वजह से मात्र तीन साल की सजा पाए निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी लड़के के परिजन और कुछ और लोग उसके गांव वापस लौटकर सुधरने और उसे नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका देने की हिमायत भी कर रहे हैं।
उसकी मां का कहना है कि परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा। लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश है कि उनका बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे। उसने बताया कि उसका पति मंदबुद्धि है। परिवार का भरण-पोषण दो जवान बेटियों की मेहनत-मजदूरी से होता है। ऐसे में परिवार को अपने बेटे की सख्त जरूरत है।
गांव के हाजी तौसीफ रजा समेत कई लोगों का कहना है कि जिंदगी का इतना बड़ा सबक सीखने और ताजिंदगी दाग का दंश देने वाली सजा भुगतने के बाद लड़के को नया जीवन शुरू करने का एक और मौका तो मिलना ही चाहिए। गांव के लोग उसे अपने पैरों पर खड़े होने में पूरी मदद करेंगे ताकि वह दोबारा अपराध के दलदल में न फंसे।
निर्भया के दोषी को गांव में घुसने नहीं देना चाहते बदायूं के लोग
पूरा गांव हुआ बदनाम: उसे अब इस गांव में रहने का कोई अधिकार नहीं है। निर्भया कांड के बाद देश-विदेश में गांव की बहुत बदनामी हुई है। बाहर पढ़ने वाले इस गांव के युवाओं को हिकारत की नजरों से देखा जाता है। कोई उन्हें नौकरी देने को भी तैयार नहीं है। नतीजतन गांव में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है।… फूलचंद्र, बदायूं निवासी
सख्त जरूरत है बेटे की: परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा। लेकिन मैं दिल से चाहती हूं कि मेरा बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे। मेरा पति मंदबुद्धि है। परिवार का भरण-पोषण दो जवान बेटियों की मेहनत-मजदूरी से होता है। ऐसे में परिवार को अपने बेटे की सख्त जरूरत है।… ‘किशोर’ दोषी की मां